हिंदी साहित्य में दोस्ती के मौके पर कई रचनाएं लिखी गई हैं। कविताओं से लेकर गजल, शेर और कहानियां भी। आइए जानते हैं विस्तार से।
दोस्ती पर आधारित शेर
मिर्ज़ा ग़ालिब
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता
जौन एलिया
हम को यारों ने याद भी न रखा
'जौन' यारों के यार थे हम तो
बशीर बद्र
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली
राहत इंदौरी
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
अहमद फ़राज़
अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए
ख़ुमार बाराबंकवी
दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आज़माते जाइए
शकील बदायूनी
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे
ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है
हफ़ीज़ होशियारपुरी
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से
कैफ़ भोपाली
तुझे कौन जानता था मिरी दोस्ती से पहले
तिरा हुस्न कुछ नहीं था मिरी शाइरी से पहले
इस्माइल मेरठी
दोस्ती और किसी ग़रज़ के लिए
वो तिजारत है दोस्ती ही नहीं
एहसान दानिश
मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनी
मुझे कैसे गवारा हो गई थी दुश्मनी अपनी
इफ्तिखार शफ़ी
सुना है ऐसे भी होते हैं लोग दुनिया में
कि जिन से मिलिए तो तन्हाई ख़त्म होती है
संतोष खिरवड़कर
तोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों को
दोस्तो अपने तअ'ल्लुक़ को सँवारा जाए
दोस्ती को बुरा समझते हैं
क्या समझ है वो क्या समझते हैं
दोस्ती पर आधारित ग़ज़ल
अहमद फ़राज़
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला
अब उसे लोग समझते हैं गिरफ़्तार मिरा
सख़्त नादिम है मुझे दाम में लाने वाला
सुब्ह-दम छोड़ गया निकहत-ए-गुल की सूरत
रात को ग़ुंचा-ए-दिल में सिमट आने वाला
क्या कहें कितने मरासिम थे हमारे उस से
वो जो इक शख़्स है मुँह फेर के जाने वाला
तेरे होते हुए आ जाती थी सारी दुनिया
आज तन्हा हूँ तो कोई नहीं आने वाला
मुंतज़िर किस का हूँ टूटी हुई दहलीज़ पे मैं
कौन आएगा यहाँ कौन है आने वाला
क्या ख़बर थी जो मिरी जाँ में घुला है इतना
है वही मुझ को सर-ए-दार भी लाने वाला
मैं ने देखा है बहारों में चमन को जलते
है कोई ख़्वाब की ताबीर बताने वाला
तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़'
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला
ख़ुमार बाराबंकवी
बात जब दोस्तों की आती है
दोस्ती काँप काँप जाती है
मुझ से ऐ दोस्त फिर ख़फ़ा हो जा
इश्क़ को नींद आई जाती है
अब क़यामत से क्या डरे कोई
अब क़यामत तो रोज़ आती है
भागता हूँ मैं ज़िंदगी से 'ख़ुमार'
और ये नागिन डसे ही जाती है
शरफ़ मुजद्दिदी
आँखों को सूझता ही नहीं कुछ सिवा-ए-दोस्त
कानों में आ रही है बराबर सदा-ए-दोस्त
कैसी वफ़ा सितम से भी उस ने उठाए हाथ
रह रह के याद अब आती है तर्ज़-ए-जफ़ा-ए-दोस्त
सीने में दाग़-हा-ए-मोहब्बत की है बहार
फूला है ख़ूब ये चमन दिल-कुशा-ए-दोस्त
दिल में मिरे जिगर में मिरे आँख में मिरी
हर जा है दोस्त और नहीं मिलती है जा-ए-दोस्त
मुद्दत से पाँव तोड़े हुए बैठे थे 'शरफ़'
आख़िर उड़ा के ले ही चली अब हवा-ए-दोस्त
दोस्ती पर आधारित कविता
कुमार विश्वास
अब मत बोलो...
पुरानी दोस्ती को इस नई ताकत से मत तौलो
ये संबंधों की तुरपाई है षड्यंत्रों से मत खोलो
मेरे लहजे की छेनी से गढ़े कुछ देवता जो कल
मेरे लफ्जे में मरते थे वो कहते है कि अब मत बोलो
पैगाम करता हूं...
मैं अपने गीतों और गजलों से उसे पैगाम करता हूं
उसकी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूं
हवा का काम है चलना दिए का काम है जलना
वो अपना काम करती है मैं अपना काम करता हूं
बिछ गया होगा...
फिर उसी ने उसे छुआ होगा
फिर उसी से निभा रही होगी
जिस्म चादर सा बिछ गया होगा
रूह सलवट हटा रही होगी
पुराने दोस्त जमे हैं मुंडेर पर छत की
पुराने दोस्त जमे हैं मुंडेर पर छत की
ये शाम रात से पहले ढली-ढली सी लगे
तुम्हारा ज़िक्र मिला है नरम हवा के हाथ
हमें ये जाड़े की आमद भली-भली सी लगे।
बात करो रुठे यारो से,सन्नाटे से डर जाते है
"बात करो रुठे यारो से,सन्नाटे से डर जाते है,
प्यार अकेला जी सकता है,दोस्त अकेले मर जाते हैं..!"
द्वारिका सूनी है गर, कोई सुदामा न हो
दोस्त न मिल सकें वो शोहरतों सामां ना हो
द्वारिका सूनी है गर, कोई सुदामा न हो
दोस्ती पर आधारित कहानियां
दोस्ती और प्यार की कहानी
एक बार की बात है, एक बहुत गरीब लड़की थी, लेकिन कोई उससे प्यार नहीं करता था। वह लड़की अकेली रहती थी, लेकिन उसे एक दोस्त की ज़रूरत थी। कुछ समय बाद, उसकी मुलाकात एक बहुत अमीर लड़की से हुई जो बहुत ही विनम्र स्वभाव की थी। वे बातचीत करने लगीं और जल्द ही बहुत अच्छी दोस्त बन गईं। वे बहुत करीबी दोस्त थीं और एक-दूसरे से बहुत प्यार करती थीं। गरीब लड़की के न तो माता-पिता थे और न ही सोने के लिए घर, इसलिए अमीर लड़की ने अपनी दोस्त को अपने घर रहने के लिए बुलाने का फैसला किया, क्योंकि उनकी अच्छी दोस्ती थी।
दो दोस्त
उस क्षण से, सभी को समझ में आ गया कि अमीर लड़की ने अपनी दोस्ती को महत्व दिया था और अपने नए दोस्त के प्रति बहुत स्नेह दिखाया था और वह उसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित थी।
दोनों लड़कियाँ हमेशा साथ रहती थीं और कभी झगड़ा नहीं करती थीं तथा हमेशा खुशी-खुशी रहती थीं।
एक बार अमीर लड़की बीमार पड़ गई। उसे कई दिनों तक तेज़ बुखार रहा और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। वह काफ़ी समय से तेज़ बुखार से पीड़ित थी। उसकी हालत और भी गंभीर हो गई थी। डॉक्टरों ने बताया कि उसके शरीर में हीमोग्लोबिन कम हो गया है और तुरंत उसके शरीर में खून चढ़ाना ज़रूरी है। उस समय किसी का भी ब्लड ग्रुप उसके ब्लड ग्रुप से मेल नहीं खा रहा था, सिर्फ़ उस गरीब लड़की का ब्लड ग्रुप ही मेल खा रहा था।
बेचारी लड़की ने एक पल भी नहीं सोचा और अपना खून दे दिया। हर कोई उनके प्यार से अभिभूत था और लोग बहुत खुश थे कि उनकी दोस्ती प्यार से भरी हुई थी।
जल्द ही उस अमीर लड़की को अस्पताल से छुट्टी मिल गई और वह फिर से स्वस्थ हो गई। उन्होंने सच्ची दोस्ती और प्यार की मिसाल कायम की, समय के साथ उनका रिश्ता और मज़बूत होता गया और वे एक-दूसरे की संगति का आनंद लेने लगीं। वे दोस्त से बढ़कर बन गईं।