नारीवाद को समझने के लिए कुछ ऐसी किताबें हैं, जिन्हें हमें और आपको पढ़ना ही चाहिए। आइए जानें विस्तार से।
शृंख्ला की कड़ियाँ, महादेवी वर्मा
'शृंख्ला की कड़ियाँ' में महादेवी ने नारी विषयक पर निबंध जैसी कहानी लिखी हैं। उनके इस किताब में नारी विमर्श, नारी मुक्ति, नारी सशक्तिकरण, नारीवाद की बात अकसर ग्रिम बहनों, जॉन स्टुअर्ड मिल, सीमोन द बउआ, जर्मेन ग्रियर से जोड़ी जाती है। महादेवी के पाँच आलेख सीधे नारी विमर्श से जुड़ते है- 'युद्ध और नारी', 'नारीत्व का अभिशाप', 'आधुनिक नारी', 'स्त्री के अर्थ स्वातन्त्र्य का प्रश्न', 'नए दशक में महिलाओं का स्थान'। प्रथम चार ‘शृंख्ला की कड़ियाँ’ से और पाँचवाँ ‘संभाषण’ से है। ‘शृंख्ला की कड़ियाँ’ महादेवी वर्मा के समस्या मूलक निबंधों का संग्रह है। स्त्री-विमर्श इनमें प्रमुख हैं। महादेवी वर्मा ने इसके लिए पृष्ठभूमि बहुत पहले तैयार कर दी थी। सन 1942 में प्रकाशित उनकी कृति ‘शृंख्ला की कड़ियाँ’ सही अर्थों में स्त्री-विमर्श की प्रस्तावना है जिसमें तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों में नारी की दशा, दिशा एवं संघर्षों पर महादेवी वर्मा ने अपनी लेखनी में दर्शाया है।
वजूद औरत का, ग्लोरिया स्टाइनम
‘वजूद औरत का’ अर्थ है ‘महिला का अस्तित्व’ या "औरत का वजूद"। इस किताब में महिलाओं के शरीर, स्वास्थ्य, और प्रजनन अधिकारों जैसे विषय शामिल हैं। यह महिलाओं की समाज में भूमिका, उनके साथ होने वाले भेदभाव, और उनके अधिकारों की बात करता है। साथ ही साथ इसमें महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता, उनके काम करने के अधिकार, और समान वेतन जैसे मुद्दे शामिल हैं। साथ ही यह महिलाओं की भावनाओं, उनकी मानसिक स्वास्थ्य, और उनके आत्म-सम्मान की बात करता है।
नारीवादी निगाह से, निवेदिता मेनन
अगर बात नारीवाद की निगाह से करें, तो यह पुस्तक एक अहम पुस्तक बन जाती है और यह पुस्तक नारीवाद के वैश्विक और अंतर्विरोधी आंदोलनों के बारे में विस्तार में अपनी बातें कह जाती हैं। साथ ही इसके बारे में बता दें कि इसमें विवाह, हिंदू कोड बिल, गुलाबी चड्ढी अभियान और महिलाओं के समर्थन में बने कानून पर भी विस्तार से बात रखी गई है और साथ ही साथ इस पुस्तक के कुछ मुख्य बातें आपलोगों को जरूर जाननी चाहिए कि लेखिका ने अपनी पूरी रचना में इस तथ्य पर जोर दिया है कि देश की अर्थव्यवस्था महिलाओं के अवैतनिक श्रम पर आधारित है।
पर्दा उठाना, इस्मत चुगताई
इस्मत चुगताई की कोशिश हमेशा महिला विषयों को गंभीरता से लेने पर रही है, उनकी इस कोशिशों को विस्तृत विवरण के लिए जानी जाने वाली पर्दा उठाना आती है। इस किताब में व्यंग्यात्मक हास्य भी है और इसमें साहस, विवाह, प्रेम, स्वतंत्रता और ऐसी कई कहानियां हैं, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं, इसमें कुछ जटिल महिला-केंद्रित कहानियाँ भी हैं। यह किताब विश्व साहित्य में सबसे सशक्त महिला पात्रों की रचना के लिए जानी जाती है। बता दें कि इन्हें भारत की शुरुआती नारीवादी लेखिकाओं में से एक हैं।
चुप्पियाँ और दरारें, गरिमा श्रीवास्तव
‘चुप्पियाँ और दरारें गरिमा श्रीवास्तव द्वारा लिखी गई एक किताब है, जो भारतीय महिलाओं की आत्मकथाओं पर केंद्रित है। यह किताब सामाजिक मौन और विभाजन के बीच महिलाओं के अनुभवों को उजागर करती है। साथ ही भारतीय महिलाओं की आत्मकथाओं का विश्लेषण करती है, विशेष रूप से सामाजिक, धार्मिक और जातीय सीमाओं के बारे में। यह पुस्तक भारतीय भाषाओं में स्त्री आत्मकथाओं के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण योगदान है, बता दें कि पुस्तक महिलाओं के अनुभवों को प्रामाणिक रूप से प्रस्तुत करने और उनके भीतर के प्रतिरोध को उजागर करने का प्रयास करती है।