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होम / एन्गेज / साहित्य / किताब-घर

साहित्य रविवार: 5 लोकप्रिय लेखकों की सदाबहार कहानियों की शृंखला

टीम Her Circle |  जून 09, 2025

साहित्य की दुनिया में कई सारे लोकप्रिय लेखक हैं, जिनकी कहानियों की शृंखला को सबसे अधिक पसंद किया गया। आज हम आपको ऐसे ही साहित्यकारों के बारे में और उनकी रचनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हिंदी और विश्व साहित्य दोनों में काफी लोकप्रिय हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।

मुशी प्रेमचंद की कहानी श्रृंखला के बारे में विस्तार से

मुंशी प्रेमचंद ने ‘निर्मला’, ‘गोदान’, ‘कफन’, ‘पूस की रात’, ‘ईदगाह’ जैसी लोकप्रिय कहानियां लिखी हैं। मुंशी प्रेमचंद को हिंदी और उर्दू साहित्य का सबसे लोकप्रिय लेखक माना गया है।  उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और नैतिक मुद्दों पर आधारित कई सारी कहानियां और उपन्यास लिए हुए हैं। प्रेमचंद की कहानियों का जिक्र किया जाए,तो ईदगाह एक मासूम बच्चे हामिद की कहानी है, जो कि अपनी दादी के लिए प्यार और त्याग की मार्मिक कहानी बयान करती है। पंच परमेश्वर की बात की जाए, तो यह सच्चे न्याय और निष्पक्षता पर आधारित है। जिसमें दोस्ती और धर्म संकट को दिखाया गया है। बड़े घर की बेटी परिवार, सम्मान और रिश्तों पर आधारित सामाजिक कहानी है। प्रेमचंद की रचनाओं में  किसानों, मजदूरों और शोषित वर्ग की समस्याओं को जीवंत रूप से दिखाया गया है। पूस की रात – गरीब किसान "हल्कू" की ठिठुरती रात में बिताई गई पीड़ा की मार्मिक कथा। कफन – गरीबी और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा पर आधारित व्यंग्यात्मक और करुण कहानी। सद्गति – एक दलित की सामाजिक पीड़ा और ब्राह्मणवाद पर करारा प्रहार। प्रेमचंद ने नारी स्वतंत्रता, उनके अधिकार और समाज में उनके स्थान पर बहुत संवेदनशील कहानियाँ लिखी हैं। ‘निर्मला’ (उपन्यास के रूप में प्रसिद्ध) – एक कम उम्र की लड़की की जबरन शादी और उसके जीवन की त्रासदी। ‘बेटों वाली विधवा’ – एक विधवा की स्थिति और उसके बेटे के प्रति अधिकार की बात। मंत्र – स्त्री की बुद्धिमता और उसकी निर्णय क्षमता पर आधारित प्रेरक कहानी। ‘ठाकुर का कुआँ’ – छुआछूत और जातीय भेदभाव पर आधारित, जिसमें एक दलित महिला की प्यास समाज की क्रूरता से टकराती है। प्रेमचंद ने कभी-कभी हास्य और प्रतीकों के माध्यम से गहरी सामाजिक बात कही। ‘शतरंज के खिलाड़ी’ – नवाबों के पतन और अंग्रेजों की चालाकी पर कटाक्ष। ‘नशा’ – युवावस्था की अस्थायी भावनाओं और प्रेम के प्रति दृष्टिकोण। ‘उपवास’ – दिखावे और धार्मिक आडंबर पर व्यंग्य को दिखाती है।प्रेमचंद की कहानी श्रृंखला न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज के यथार्थ को समझने और बदलने का भी माध्यम है। उनकी कहानियां हर पीढ़ी के लिए शिक्षाप्रद हैं और आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनके समय में थीं।

महादेवी वर्मा की लोकप्रिय कहानियों की शृंखला के बारे में

महादेवी वर्मा को हिंदी साहित्य की महान लेखिका के तौर पर जाना जाता है। उनकी लिखी हुई कहानियां जीवन के अनदेखे पहलुओं, पशु प्रेम, नारी-संवेदना और सामाजिक संवेदनशीलता को उजागर करती है। उनकी लिखी हुई कहानी भिखारन समाज की उपेक्षित महिला की करूण कथा बताती है। ‘गिल्लू’ एक गिलहरी और लेखिका के बीच के भावुक संबंध की कहानी है। ‘नीलकंठ’ एक पक्षी के प्रति संवेदना को दिखाती है, जिसे बहुत ही भावुकता के साथ दिखाया गया है। ‘स्मृति की रेखाएं’ अतीत की घटनाओं  को गहराई से छूने वाली यादें हैं। ‘गिल्लू’, ‘नीलकंठ’, ‘सोनू’  ‘भाग्य’ और ‘सापू’ के जरिए महादेवी वर्मा ने यह बताया है कि जानवर भी परिवार के सदस्य हो सकते हैं, वे हमारी भावनाओं को समझते हैं, प्रेम करते हैं और त्याग की भावना रखते हैं। नारी चेतना की कहानियों के जरिए महादेवी वर्मा ने स्त्रियों की दबी हुई व्यथा, आत्मसम्मान, शिक्षा, स्वतंत्रता और सामाजिक बंधनों को उजागर किया। दूसरी तरफ माई  की कहानी  एक बुजुर्ग महिला नौकरानी, जिसकी निष्ठा और स्नेह जीवन भर स्मरणीय रहा। “ठाकुरदीन” – एक सेवक जिसकी मासूमियत और समर्पण महादेवी को छू जाती है। उल्लेखनीय है कि महादेवी वर्मा की कहानियाँ और गद्य लेखन सिर्फ साहित्य नहीं हैं, वे संवेदना, करुणा और आत्मचिंतन की मिसालें हैं। उन्होंने जहां एक ओर पशु-पक्षियों को सजीव संवेदना दी, वहीं दूसरी ओर नारी स्वतंत्रता और समाज में बदलाव की आवाज भी बुलंद की।

रवींद्रनाथ टैगोर की कहानियाँ शृंखला के बारे में

रवींद्रनाथ टैगोर को विश्व साहित्य के एक महान साहित्यकार, कवि, लेखक और संगीतकार रह चुके हैं। नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले एशियाई लेखक भी रवींद्रनाथ टैगोर रह चुके हैं। दिलचस्प है कि टैगोर की कहानियों में सामाजिक यथार्थ, नारी स्वतंत्रता, जातिवाद, धार्मिक कट्टरता, प्रकृति और मानवीय संबंधों की जटिलताएं देखने को मिलती हैं। उनकी लिखी हुई कहानियों के बारे में बात की जाए, तो "काबुलीवाला" – एक पठान और एक छोटी लड़की मिनी के बीच दिल छू लेने वाला रिश्ता। "सुभा" – एक मूक लड़की की पीड़ा, जिसे समाज उसकी खामोशी से आंकता है। "अतिथि" – समाज की सीमाओं और आत्मस्वतंत्रता की तलाश पर आधारित। "द्रष्टा" – ब्राह्मणवादी व्यवस्था और सामाजिक भेदभाव पर गहरी चोट। मानवीय रिश्ते की बात की जाए, तो  उनकी लिखी हुई कहानी "दुनियादारी" – साधारण जीवन की उलझनों और रिश्तों पर आधारित। "समाप्ति" – विवाह, प्रेम और स्त्री-स्वतंत्रता का सुंदर चित्रण। "अनमेल" – असमान विवाह और उसमें पैदा होने वाली दूरी पर आधारित है। विदित हो कि रवींद्रनाथ टैगोर की कहानियाँ न केवल साहित्यिक दृष्टि से महान हैं, बल्कि सामाजिक और मानवीय दृष्टि से समाज के लिए एक आईना हैं। वे भावना, तर्क और संवेदना का अनूठा संगम हैं।

आनंद कुमार की लोकप्रिय कहानियों की श्रृंखला के बारे में 

आनंद कुमार की कहानियाँ सामाजिक जीवन, इंसानी रिश्तों, संघर्षों और सपनों के इर्द-गिर्द घूमती हैं। उनकी कहानियाँ संवेदनशील, सरल, और पाठकों के दिल को छू लेने वाली होती हैं। उनकी प्रमुख कहानियों की बात की जाए, तो रात की परी यह कहानी मानवीय संवेदना और बचपन की मासूमियत को बताती है। उनकी दूसरी कहानी हवा का झोंका एक तरह से जीवन की परिस्थितियों के साथ जूझने की प्रेरणा देती है। अजनबी यह कहानी एक अकेलेपन और पहचान की तलाश की कहानी बयान करती है। उनकी अगली कहानी हर दिन की छोटी-छोटी खशियों को पकड़ने की कला को दिखाती है। जीवन के साधारण पलों में छुपे हुए आनंद को उजागर करती है। उनकी अगली कहानी बंद कमरे की आवाज मानसिक तनाव के पहलुओं पर आधारित कहानी है। उल्लेखनीय है कि आनंद कुमार की कहानियां हिंदी साहित्य में सवंदेनशील यथार्थवाद और आधुनिक जीवन के संघर्षों को दिखाती है और अगर आप छोटी, प्रभावशाली और सरल कहानियां पढ़ना पसंद करती हैं, तो उनकी यह कहानियां निश्चित रूप से आपेक लिए उपयुक्त रहेंगी।

शरततंद्र की श्रेष्ठ कहानियों की शृंखला के बारे में

शरततंद्र की गिनती भारतीय साहित्यकार के लोकप्रिय लेखक रहे हैं। उनकी रचनाएं खासतौर पर नारी संवेदना, सामाजिक अन्याय, प्रेम और पारिवारिक मूल्यों पर केंद्रित रही है। उनकी प्रमुख कहानियों के बारे में बात की जाए, तो देवदास एक तरह से प्रेम, सामाजिक बंधन और आत्मविनाश की गाथा को दिखाती है। चरित्रहीन कहानी नारी को समाज के जरिए दिए गए चरित्र के तमगे पर गंभीर सवाल उठाती है। उनकी लिखी हुई दत्ता एक तरह से शिक्षित और आत्मनिर्भर नारी की प्रेम कहानी है। दिलचस्प है कि शरतचंद्र की कहानियां अक्सर जाति भेदभाव, महिला शिक्षा के साथ बाल विवाह और महिलाओं के अधिकार पर तीखा प्रहार करती है।

 

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