img
settings about us
  • follow us
  • follow us
write to us:
Hercircle.in@ril.com
terms of use | privacy policy � 2021 herCircle

  • होम
  • the strongHER movement
  • bizruptors
  • कनेक्ट
  • एन्गेज
  • ग्रो

search

search
all
communities
people
articles
videos
experts
courses
masterclasses
DIY
Job
notifications
img
Priority notifications
view more notifications
ArticleImage
होम / एन्गेज / साहित्य / किताब-घर

महिला शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हुईं 5 किताबें

टीम Her Circle |  सितंबर 29, 2025

नवरात्रि के मौके पर महिला शक्ति को दिखाने वाली किताबों पर भी गौर करना चाहिए। क्योंकि अक्सर कहा जाता है कि किताबें आपकी सबसे अच्छी मित्र बन सकती हैं और महिलाओं को अपने जीवन में सच्चे दोस्त की आवश्यकता जरूर होती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि महिला शक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाली किताबों में नारी शक्ति, आत्मनिर्भरता, संघर्ष और जागरूकता की गहराई से झलक मिलती है। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि साहित्य ने महिलाओं की आवाज बुलंद करने और उनके संघर्षों को सामने लाने और समाज में उनके अधिकारों की पैरवी करने में अहम भूमिका निभाई है। आइए जानते हैं, इन किताबों के बारे में विस्तार से।

कमला भसीन की किताब- स्त्री: एक अस्मिता की तलाश की समीक्षा विस्तार से

कमला भसीन एक लोकप्रिय नारीवादी, समाजविज्ञानी, प्रशिक्षण कर्ता और लेखिका रही हैं। उन्होंने भारत और दक्षिण एशिया में महिला अधिकारों, लैंगिग समानता, महिला सशक्तिकरण  और पितृसत्ता के खिलाफ अपनी लेखनी को प्रस्तुत करती रही हैं। कमला भसीन की सबसे बड़ी ताकत यह रही है कि जमीनी भाषा के जरिए उन्होंने महिला सशक्तिकरण को गीत और कविताओं के माध्यम से भी अपने विचारों तक पहुंचाती रही है।कमला भसीन द्वारा लिखी हुई इस किताब में समझाया गया है कि महिला और पुरुष के बीच का अंतर केवल जन्म से नहीं होता है, बल्कि समाज के बीच रहकर मनोवैज्ञानिक भी हो जाता है। कमला भसीन बताती हैं कि समाज ने किस तरह महिलाओं को कमतर आंकने वाली सोच बनाई है। यह किताब महिलाओं को उनकी शक्ति का अहसास भी कराती है और उन्हें अपने अस्तित्व की पहचान करने का आत्मविश्वास देती है। कमला भसीन ने अपनी इस किताब में साफ तौर पर बताया है कि एक महिला केवल त्याग और सहनशीलता की मूर्ति नहीं है, बल्कि बदलाव की सैनिक भी है। यह पुस्तक महिलाओं को जागरूक बनाती है कि वे अपने अधिकारों के लिए खड़ी हों और साथ ही अपने जीवन का फैसला खुद लें। 

अमृता प्रीतम की लिखी हुई किताब ऐ रूख-ए-गुलाब की समीक्षा विस्तार से

अमृता प्रीतम की लेखनी सबसे सशक्त और संवेदनशील लेखिकाओं में से एक रही हैं। पंजाबी और हिंदी दोनों भाषाओं में लिखती थीं और उन्होंने हमेशा प्रेमपूर्ण, विद्रोही और महिला अस्मिता को अभिव्यक्त करती लेखनी के लिए जाना जाता है। इसके साथ उन्होंने कविता, उपन्यास और आत्मकथा के जरिए भी महिला शक्ति को प्रस्तुत किया है। अमृता प्रीतम की लिखी हुई किताब ऐ रूख-ए-गुलाब यानी कि गुलाब के चेहरे जैसी, में अमृता ने अपने जीवन के अनुभवों के जरिए महिलाओं के जीवन को हर गहराई से उजागर किया है। इस किताब में खास तौर पर अमृता प्रीतम ने पीड़ा, समाज की बंदिशें और एक औरत के मन की भावनाओं को बड़े भावुक और शक्तिशाली तरीके से प्रस्तुत किया है। इस किताब में उन्होंने बताया है कि एक महिला अपने जीवन में चाहे कितने ही उतार-चढ़ाव झेल ले, उसके अंदर एक शक्ति होती है, जो उसे गिरने पर फिर से खड़ा होने का विश्वास और हिम्मत देती है। उन्होंने इस किताब में एक महिला को कोमल लेकिन मजबूत रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया है कि एक महिला प्रेम के लिए लड़ सकती है, अपने आप को हर रूप में स्वीकार कर सकती है और समाज की खोखले नियम और परंपरा को तोड़ सकती है। 

लिसा तो देओ की किताब थ्री वुमन की समीक्षा विस्तार से

इस किताब में तीन महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक जीवन को महिलाओं की कहानियों के तौर पर दिखाया गया है, जो कि अपने जीवन में प्रेम , कामुकता और रिश्तों की पहचान खोजने  के लिए संघर्ष कर रही हैं। यह किताब एक तरह से महिला शक्ति की गहराई से पड़ताल करती है। इस किताब की सबसे बड़ी खूबी यही है कि यह महिलाओं की निजी इच्छाओं और भावनाओं को ईमानदारी से पेश करती है। यह दिखाती है कि महिला शक्ति केवल बाहरी संघर्षों तक सीमित नहीं होती है, बल्कि अपनी भावनाओं को समझना और उसे स्वीकार करना भी महिला सशक्तिकरण का हिस्सा रही है। आप यह समझ सकती हैं कि यह किताब खासतौर पर महिला इच्छा की उलझनों को समाज, निजी इतिहास, शक्ति संबंधों और नाजुक हालातों के संदर्भ में बात करती है। इस किताब में केवल महिलाओं की कहानी और उनके जीवन की घटनाओं को नहीं बल्कि उनके प्रभाव, महिलाओं की आत्म-छवि, सामाजिक न्याय, अपेक्षाएं आदि पर भी ध्यान दिया गया है। कुल मिलाकर देखा जाए, तो यह किताब एक चुनौतीपूर्ण , भावनात्मक किताब है, यह किताब सामाजिक सीमाओं के बीच की जटिलता को भी उजागर करती है। 

महाश्वेता देवी की किताब चिट्ठियां और औरत का वजूद

यह किताब दिखाती है कि किस तरह एक आम महिला भी समाज की व्यवस्था के खिलाफ खड़ी हो सकती हैं। महाश्वेता देवी ने अपनी किताब चिट्ठियां में घरेलू के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक, राजनीतिक माहौल के दिखाते हुए महिला शक्ति को दिखाया है। उनकी यह किताब दिखाती है कि किस तरह एक आम महिला भी व्यवस्था के खिलाफ खड़ी हो सकती है। इसके अलावा ‘वजूद औरत का’ अर्थ है ‘महिला का अस्तित्व’ या "औरत का वजूद"। इस किताब में महिलाओं के शरीर, स्वास्थ्य, और प्रजनन अधिकारों जैसे विषय शामिल हैं। यह महिलाओं की समाज में भूमिका, उनके साथ होने वाले भेदभाव, और उनके अधिकारों की बात करता है। साथ ही साथ इसमें महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता, उनके काम करने के अधिकार, और समान वेतन जैसे मुद्दे शामिल हैं। साथ ही यह महिलाओं की भावनाओं, उनकी मानसिक स्वास्थ्य, और उनके आत्म-सम्मान की बात करता है।

इस्मत चुगताई  की किताब पर्दा उठाना की समीक्षा

इस्मत चुगताई की कोशिश हमेशा महिला विषयों को गंभीरता से लेने पर रही है, उनकी इस कोशिशों को विस्तृत विवरण के लिए जानी जाने वाली पर्दा उठाना आती है। इस किताब में व्यंग्यात्मक हास्य भी है और इसमें साहस, विवाह, प्रेम, स्वतंत्रता और ऐसी कई कहानियां हैं, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं, इसमें कुछ जटिल महिला-केंद्रित कहानियाँ भी हैं। यह किताब विश्व साहित्य में सबसे सशक्त महिला पात्रों की रचना के लिए जानी जाती है। बता दें कि इन्हें भारत की शुरुआती नारीवादी लेखिकाओं में से एक हैं।

 

शेयर करें
img
लिंक कॉपी किया!
edit
reply
होम
हेल्प
वीडियोज़
कनेक्ट
गोल्स
  • © herCircle

  • फॉलो अस
  • कनेक्ट
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प
  • हमें जानिए
  • सेटिंग्स
  • इस्तेमाल करने की शर्तें
  • प्राइवेसी पॉलिसी
  • कनेक्ट:
  • email हमें लिखें
    Hercircle.in@ril.com

  • वीमेंस कलेक्टिव

  • © 2020 her circle