यह साल महिला लेखकों के लिए भी शानदार रहा। आइए जानें उन महिला लेखकों के बारे में, जो काफी चर्चा में रहीं।
बानू मुश्ताक (लेखिका) और दीपा भास्ती (अनुवादक)
बानू मुश्ताक और दीपा भास्ती (अनुवादक) को 'हार्ट लैंप' के लिए, जो दक्षिणी भारत में मुस्लिम महिलाओं पर कहानियों का एक संग्रह है, इसे इंटरनेशनल बुकर प्राइज से नवाजा गया। जी हां, वर्ष 2025 में, बानू मुश्ताक की 'हार्ट लैंप' ने इतिहास रच दिया, यह पहली कन्नड़ रचना और पहला शॉर्ट स्टोरी कलेक्शन था, जिसने इंटरनेशनल बुकर प्राइज जीता। यही नहीं यह पहचान सिर्फ दीपा भास्ती के इंग्लिश ट्रांसलेशन की वजह से ही संभव हो पायी, जिसने मुश्ताक की कहानियों को दुनिया भर के जजों और पाठकों तक पहुँचाया।
चित्रा बनर्जी दिवाकरुनी
चित्रा बनर्जी दिवाकरुनी दक्षिण एशियाई पाठकों के बीच एक जाना-पहचाना नाम बन गई हैं, उनके उपन्यास 'द पैलेस ऑफ़ इल्यूजन्स' और 'द फॉरेस्ट ऑफ एनचैंटमेंट्स' भारतीय महाकाव्यों को एक आधुनिक, नारीवादी नज़रिए से दोबारा बताते हैं। उनकी रचनाएँ पौराणिक कथाओं, प्रवासन और नारीत्व जैसे विषयों को एक्सप्लोर करती हैं, और उनका 29 भाषाओं में अनुवाद किया गया है। इसके अनुवाद ने न केवल उनके पाठकों की संख्या बढ़ाई है, बल्कि भारत की महाकाव्य परंपराओं को नए सांस्कृतिक और भाषाई संदर्भों में फिर से पेश किया है। इन कहानियों को दुनिया भर में सुलभ बनाकर, इसने प्राचीन मिथकों को नई बातचीत शुरू करने और वैश्विक दर्शकों के लिए प्रासंगिक बने रहने की अनुमति दी है।
अनुराधा रॉय
अनुराधा रॉय की बात करें, तो वह इस साल काफी चर्चे में रहीं और वह अपनी लयबद्ध, विचारशील गद्य के लिए जानी जाती हैं, उनके उपन्यास जैसे ‘द फोल्डेड अर्थ’ और ‘ऑल द लाइव्स वी नेवर लिव्ड’ को यादों, अपनेपन और परंपरा और प्रगति के बीच तनाव की पड़ताल के लिए तारीफ़ मिली है। उनकी रचनाओं का 18 भाषाओं में अनुवाद किया गया है, जिससे उनकी शांत, लेकिन शक्तिशाली कहानी कहने की कला दुनिया भर के पाठकों तक पहुँची है। अनुराधा के काम को सीमाओं के पार जो चीज़ लोकप्रिय बनाती है, वह है इसके मूल में मौजूद सार्वभौमिक विषय: प्यार, नुकसान और बदलाव। इसके अनुवाद ने इन विषयों को और बढ़ाया है, यह सुनिश्चित करते हुए कि भारतीय जीवन के उनके अंतरंग चित्रण कई सांस्कृतिक संदर्भों में दर्शकों से जुड़ सकें। उन्होंने 'द हिमालय इन ए स्मॉल हाउस' रिलीज़ की, जिसमें पहाड़ों में उनके जीवन के बारे में बताया गया है।
नमिता गोखले
नमिता गोखले भी चर्चित नामों में से एक हैं। एक भारतीय फिक्शन लेखिका, एडिटर, फेस्टिवल डायरेक्टर और पब्लिशर हैं। उनका पहला नॉवेल, ‘पारो: ड्रीम्स ऑफ पैशन’ 1984 में रिलीज़ हुआ था और तब से उन्होंने फिक्शन और नॉन-फिक्शन लिखा है और नॉन-फिक्शन कलेक्शन एडिट किए हैं। उन्हें 2017 में साहित्य के लिए पहला शताब्दी राष्ट्रीय पुरस्कार और अपने उपन्यास 'थिंग्स टू लीव बिहाइंड' के लिए 2021 में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी (राष्ट्रीय साहित्य अकादमी) पुरस्कार मिला। उन्हें नीलिमारानी साहित्य सम्मान 2023 से भी सम्मानित किया गया है। गोखले का प्रतिनिधित्व ए सूटेबल एजेंसी करती है।
मैत्रेयी पुष्पा
मैत्रेयी पुष्पा को इफको साहित्य सम्मान से नवाजा गया और इसकी चर्चा भी खूब रही। गौरतलब है कि भारतीय ग्राम्य जीवन एवं कृषि संस्कृति पर कुलपति वाले रचनाकारों को प्रस्ताव देने के उद्देश्य से भारतीय फार्मर्स फर्टिलजिगर कंपनी लिमिटेड (इफको) बनाया। बता दें कि वर्ष 2025 का मुख्य साहित्य सम्मान पाने वाली मैत्रेयी पुष्पा हिन्दी साहित्य की उन धारदार और महत्वपूर्ण आवाज़ों में से हैं, जिन्होंने ग्रामीण स्त्री जीवन की विडंबनाओं और संघर्षों को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती रही हैं।
पार्वती तिर्की
पार्वती तिर्की की बात करें, तो इन्हें साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2025 हिंदी से सम्मानित किया गया है। झारखंड की कुरुख जनजाति से ताल्लुक रखने वालीं 31 साल की पार्वती तिर्की को 2025 का साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार (हिन्दी के लिए) मिला है। उन्हें ये पुरस्कार अपने कविता संग्रह "फिर उगना" के लिए दिया गया है। वह एक भारतीय कवयित्री, शिक्षिका और शोधकर्ता हैं, जो झारखंड के गुमला जिले से आती हैं। कुड़ुख जनजाति समुदाय से संबंधित डॉ तिर्की समकालीन हिन्दी साहित्य में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जानी जाती हैं।
सुमन संधू और अंकिता जैन
बता दें कि सुमन संधू भी एक लोकप्रिय नाम है लेखन की दुनिया में, क्योंकि उनके उपन्यास "द लक्ज़री ऑफ़ चॉइस" को वीमेन्स प्राइज (Women's Prize) के लिए लॉन्गलिस्ट किया गया, जो कि बेहद गौरव की बात है। वहीं अंकिता जैन को वर्ष 2025 के IFCO युवा साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया है।
शांता गोखले
शांता गोखले ने शानदार काम किया है और उनकी लेखनी की तारीफ़ भी लगातार होती रही है।
अल्पा शाह-अरुणा राय
नॉन-फिक्शन के लिए अल्पा शाह की ‘द इनकार्सरेशन्स’ और अरुणा रॉय की ‘द पर्सनल इज़ पॉलिटिकल’ चर्चित किताबों में से एक रही, जिसने सुर्खियां बटोरी।