असली मायने में फैशन वही हैं, जब उसे बिना किसी बंदिश और बिना किसी की परवाह किये बगैर अपनाया जाए। आइए जानते हैं विस्तार से।
क्या है फैशन फ्रीडम यानी आजादी का मतलब

फैशन की आजादी की बात करें, तो इसका मतलब है, ऐसे कपड़ों को चुनने की आजादी, जो सामाजिक दबावों, रूढ़ियों या सीमाओं से मुक्त होकर, अपनी पहचान और व्यक्तिगत शैली को प्रामाणिक रूप से दर्शाते हों। यह कठोर नियमों या अपेक्षाओं के अनुरूप चलने के बजाय, कपड़ों को आत्म-अभिव्यक्ति के रूप में
व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति

अगर फैशन की अभिव्यक्ति की जाये, तो फैशन की स्वतंत्रता व्यक्तियों को अपने कपड़ों के विकल्पों के माध्यम से अपने अनूठे व्यक्तित्व और पसंद को प्रदर्शित करने का अधिकार देती है, चाहे वे किसी भी चलन या पारंपरिक मानदंडों से संबंधित हों। इसका यह सीधा मतलब है कि आप जैसा सोचती हैं, जैसी हैं, वैसे कपड़े पहनें, किसी के भी बहकावे में आने की कोई भी जरूरत नहीं है। न ही कोई आप पर अपना व्यक्तित्व थोपता हो, तो उसको मानने की जरूरत है। सीधी-सी बात है, आपको जो पसंद है, आप वह करें, अपने व्यक्तित्व के साथ सहजता के साथ फैशन के अनुरूप को स्वीकार करें, न कि किसी और के व्यक्तित्व की कॉपी करने की कोशिश करें। इससे आप खुद को कहीं भी नहीं रख पाएंगी और दुखी ही रहेंगी। इसलिए खुद के आत्मविश्वास के सम्मान के लिए और अपने व्यक्तित्व को और निखारने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को तलाशें।
रूढ़िवादिता को कहें बाय

अक्सर ऐसा होता है कि जब आप कहीं घूमने जाने वाली होती हैं या किसी पार्टी में जा रही होती हैं, तो घर के पुरुष आपको यह बताने लग जाते हैं कि आपको क्या पहनना चाहिए और क्या नहीं। वे आपसे एक निर्धारित ट्रेंड को फॉलो करने बोलने लगते हैं या फिर कहने लगते हैं, आपको इस जगह पर यह नहीं पहनना चाहिए, तो दूसरी जगह में यह नहीं, कपड़े ऐसे पहनें, खुद को ऐसे ढंकें, ये करें वो करें, ये सही नहीं लग रहा, वो सही नहीं लग रहा। यह सब सारी सोच गलत है और आपको इन्हें मानने की कोशिश करने की भी जरूरत नहीं है। पूर्ण रूप से इस रूढ़िवादी सोच को बदलने की जरूरत होनी चाहिए।
आत्मविश्वास और सशक्तिकरण

जब व्यक्ति अपने पहनावे में सहज और आत्मविश्वासी महसूस करते हैं, तो यह उनके आत्म-सम्मान और समग्र कल्याण की भावना को बढ़ा सकता है। जी हां, फैशन के लिहाज से हमेशा आजादी का मतलब यही है कि आप जो भी पहनें, उसमें सहज रहें। यह सोच की सलवार कुर्ते सिर्फ वही लड़कियां पहनती हैं, तो ट्रेडिशनल होती हैं और शहरी लड़कियां सिर्फ और सिर्फ वेस्टर्न ड्रेसेज पहनती हैं, गलत है। आपके लिए सहजता से पहना गया कपड़ा ही आपको आत्मविश्वास दिलाता है और सशक्तिकरण का पूर्ण रूप से परिचायक होता है। आप एक जींस पहन कर कम्फर्टेबल हैं, तब भी अच्छा है, अगर आप सलवार कुर्ता और साड़ी पहन कर सहज हैं, तब भी अच्छा है। अक्सर ऑफिस में भी लोग साड़ियां पहनी महिला के बारे में भी मान लेते हैं कि इन्हें कुछ नहीं आता होगा, खासतौर से कॉर्पोरेट जॉब में, जबकि आपकी बुद्धिमता किसी भी रूप में या एक प्रतिशत भी आपके पहनावे पर निर्भर नहीं और न ही यह कोई मापदंड है।
ट्रेंड नहीं अपना ट्रेंड बनाएं
यह सोच कि जो ट्रेंड में चल रहा है, वही फैशन है और ट्रेंड है, यह सोच ही गलत है। ट्रेंड का मतलब है आपको अपनी सोच को बढ़ावा देना चाहिए और ट्रेंड बनाने की कोशिश करनी चाहिए। कभी भी ट्रेंड को फॉलो नहीं करना चाहिए। खुद को जो पसंद है और अगर वह ट्रेंड के विरुद्ध भी है, तब भी आपको उन्हें फॉलो करने की कोशिश करनी चाहिए, जिसमें आप अच्छे लगें और जिसमें आपकी खुशी है, जिन्हें फॉलो करते हुए आपको किसी तरह की बंदिश या असहजता महसूस न हो, फिर आप जो फॉलो करें, वही फैशन पैलेट है, वही फैशन है, वही ट्रेंड हैं।
अगली जेनरेशन को सौपें पॉजिटिव सोच

एक सोच जो आपको अपनी अगली जेनेरेशन को जरूर सौंपनी चाहिए, वह यह है कि उनमें अपने स्टाइल की समझ विकसित करना, आप अपनी बेटी को अपनी स्टाइल की समझ विकसित करते हुए देखें, भले ही आप एक बड़ा बदलाव देखें, लेकिन फिर भी उन्हें खुद को पूरी तरह से अभिव्यक्त करने की सोच विकसित करना सिखाएं और इससे दरअसल, उनका आत्मविश्वास ही बढ़ेगा। फैशन पुलिस बनने की वजह उनके लिए स्टाइल विकसित करने का सबसे अच्छा तरीका है, खुद को एक्सप्लोर करना। आप चाहें तो अपनी बेटियों को एक बोर्ड बनाना सिखाएं, स्टाइल बोर्ड बनाना सिखाएं। स्टाइल इंस्पिरेशन मूड बोर्ड सिखाएं, जिससे उन्हें अपनी स्टाइल की समझ पाने के लिए फैशन गुरुओं की मदद मिले और प्रेरणा मिले। फिर वह खुद में भी एक फैशन की समझ को विकसित कर सकें। इनके अलावा, ट्रेंड के साथ चलते हुए उन्हें ऑनलाइन पर वैसे ही मिलते-जुलते कपड़ों की तलाश शुरू करना सिखाएं। उन्हें कम्फर्ट और फैशन के बीच का रिश्ता समझाएं। उन्हें पूरी दुनिया के स्टाइल के बारे में पढ़ना और समझना सिखाएं। यह सब करते हुए, वह भी फैशन को लेकर सहज होंगी और वर्तमान दौर में क्या अच्छा है, क्या नहीं, सबकुछ एक्सप्लोर करना सीखेंगी और यह भी उनके फैशन फ्रीडम की सोच को बूस्ट ही करेगा। दरअसल, फैशन की आजादी सिर्फ अपनी पसंद के कपड़े पहनने की आजादी से कहीं बढ़कर है। यह अपने अंदर की खोज, आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान बढ़ाने की एक लंबी यात्रा है। फैशन की आजादी या फैशन फ्रीडम की एक खासियत यह है कि इसमें उम्र की कोई सीमा नहीं होती। इसलिए आपको यह सोचना ही नहीं है कि बहुत देर हो गई है, बल्कि अपनी बेटी को खुद को निखारने और स्टाइल ढूंढने में मदद करने में कभी देर नहीं होती। इन सबके अलावा, उनमें सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने वाली चीजों की तरफ भी झुकाव होना सिखाएं, ताकि वह आगे चल कर प्रकृति को बचा सकें और अपनी तरफ से एक छोटी शुरुआत ही कर सकें।