प्लस साइज क्लोदिंग मार्केट यानी कपड़े के मार्केट ने लगातार विकास किया है। धीरे-धीरे महिलाओं में प्लस साइज को लेकर एक आत्म विश्वास आया है और अब वह कई तरह के एक्सपेरिमेंट इस साइज में कर रही हैं बेपरवाह होकर। आइए जानें विस्तार से।
क्या कहते हैं आंकड़े

दरअसल, आंकड़ों का मानना है कि प्लस-साइज कपड़ों का बाजार वर्ष 2025 से वर्ष 2035 के दौरान तेजी से बढ़ने की राह में है, क्योंकि कपड़ों के कई ट्रेंड्स, बॉडी पॉजिटिविटी कैंपेन और प्लस-साइज ग्राहकों का रिटेल स्टोर्स की ओर रुख करना आने वाले समय में और अधिक बढ़ रहा है। ऐसे में वर्ष 2025 में यह बाजार लगभग 319,821 मिलियन अमेरिकी डॉलर का होगा। गौर करें, तो बाजार की सफलता में इस क्रांति के कुछ सबसे महत्वपूर्ण कारक मौजूद हैं। कपड़ों की दुनिया समावेशिता की ओर बढ़ रही है, क्योंकि यह बात समझ आ गई है कि प्लस-साइज लोगों के लिए कपड़ों और सही फिटिंग वाले परिधानों का एक खास बाजार मौजूद है और अब उन्हें दुखी होने या मन मसोस कर रहने की जरूरत नहीं है। ASOS कर्व, लेन ब्रायंट और यूनिवर्सल स्टैंडर्ड जैसे ब्रांडों ने मानक आकारों की बजाय प्लस-साइज ग्राहकों के लिए विशेष रूप से विकसित विशाल संग्रह पेश किए हैं।
ई-कॉमर्स और सोशल मीडिया का प्रभाव
अगर बात ई-कॉमर्स की करें और सोशल मीडिया की करें, तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कई प्लस-साइज उपभोक्ताओं के लिए खरीदारी का मुख्य केंद्र हैं, जो उन्हें व्यापक विकल्प और प्रिवेसी प्रदान करते हैं। इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर प्लस-साइज इन्फ्लुएंसर इन रुझानों को आगे बढ़ाने, रूढ़िवादिता को चुनौती देने, बॉडी पॉजिटिविटी को बढ़ावा देने और सुडौल शरीर के लिए विविध लुक्स को स्टाइल करने के तरीके दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका लगातार निभा रहे हैं।
को-ऑर्ड्स (कोऑर्डिनेटेड सेट) की भूमिका

हो सकता है कि आपको यह बात जान कर हैरानी लगे, लेकिन मैचिंग टॉप और बॉटम कैजुअल वियर में एक महत्वपूर्ण ट्रेंड के रूप में बने हुए हैं, जो कम से कम मेहनत में एक सहज और आकर्षक लुक देते हैं, साथ ही यह सेट, काफी हवादार होते हैं और इन्हें कई और भी कपड़ों के साथ मैच करके पहना जा सकता है, इसलिए भी यह ट्रेंड काफी लोकप्रिय हो रहा है और प्लस साइज में इसमें कई तरह के एक्सपेरिमेंट्स किये जा रहे हैं।
एथनिक फैशन की भूमिका
पारंपरिक भारतीय परिधानों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जो साधारण डिजाइनों से आगे बढ़कर, आकर्षक अनारकली, स्ट्रक्चर्ड कुर्ते, लहंगे और इंडो-वेस्टर्न फ्यूजन परिधानों की ओर बढ़ रहे हैं। डिजाइनर रोजमर्रा और त्यौहारों, दोनों ही अवसरों पर कई तरह के एक्सपेरिमेंट्स कर रहे हैं और इससे एथेनिक फैशन की दुनिया में कमाल हो रहा है।
बदली है यह सोच
यह सोच अब पूरी तरह से बदल गई है कि प्लस-साइज वाले लोगों को केवल गहरे, स्लिमिंग रंग ही पहनने चाहिए। अब डिजाइनर लगातार चटक रंग, प्लेफुल प्रिंट और स्टेटमेंट रंग का इस्तेमाल कर रहे हैं। जैसे कि फ्यूशिया, कोबाल्ट ब्लू और ट्रॉपिकल पैटर्न काफी लोकप्रिय हो रहे हैं, जो आत्म-अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ावा देते हैं।
एक्टिववियर की बढ़ी है डिमांड
दरअसल, यह भी एक महत्वपूर्ण पहलू है कि स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती पर ध्यान केंद्रित करने से प्लस-साइज एक्टिववियर की मांग में तेजी आई है। सो, उपभोक्ता आरामदायक, स्टाइलिश और कार्यात्मक विकल्प जैसे कि अच्छी तरह से फिट होने वाले जॉगर्स, नमी सोखने वाली लेगिंग्स और स्पोर्ट्स ब्रा की तलाश में हैं, जो वर्कआउट और कैजुअल आउटिंग, दोनों के लिए उपयुक्त हों।
सस्टेनेबल फैशन है खास

सस्टेनेबल फैशन की बात करें तो पर्यावरण के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या टिकाऊ विकल्पों की तलाश में है। ब्रांड ऑर्गेनिक कॉटन, रिसाइकल्ड मटेरियल और कम प्रभाव वाले रंगों का उपयोग करके इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, यह एक ऐसा ट्रेंड है, जो भारतीय प्लस-साइज बाजर में काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
जानें यह भी
एशिया-प्रशांत यानी एशिया पेसिफिक में सौंदर्य, शहरीकरण और बढ़ती डिस्पोजेबल आय के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव के कारण प्लस-साइज परिधानों की खुदरा बिक्री में सबसे अधिक वृद्धि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में देखी जाएगी। गौरतलब है कि चीन, भारत, जापान और दक्षिण कोरिया इन सभी जगहों पर मांग बढ़ती जा रही है और स्थानीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी प्लस साइज पर ध्यान दे रही हैं। गौरतलब है कि बाजार में बॉडी इमेज के मुद्दों के प्रति सांस्कृतिक मानसिकता और ब्रांडिंग की स्थिति भी एक खास कारण है, सोशल मीडिया विज्ञापन अभियान और प्लस-साइज प्रभावशाली लोगों द्वारा समर्थन, दृष्टिकोण में बदलाव ला रहे हैं और बाजार में स्वीकार्यता बढ़ा रहे हैं।