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होम / एन्गेज / संस्कृति / पॉप-कल्चर

सोहर : नए मेहमान के आगमन का स्वागत लोकगीत

टीम Her Circle |  जनवरी 05, 2025

अगर आप बिहार, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश से संबंध रखती हैं, तो आपने घरों में नए संतान के आगमन होने पर सोहर गीतों को जरूर सुना होगा, आइए जानें सोहर गीत गाने की लोक परंपरा के बारे में। 

क्या है सोहर गीत 

अगर सोहर की बात करें, तो यह मुख्य रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश का लोकगीत है और आपको इसकी जानकारी जरूर होनी चाहिए कि इसे मुख्य रूप से तब घरों में महिलाएं गाती हैं, जब किसी घर में किसी नए नन्हे मेहमान का आगमन होता है और घर की महिलाएं खुशियां मनाते हुए ये गीत गाती हैं। सोहर गीत में बच्चे के जन्म, उसके घर वालों से संबंधित बातें, पकवानों और त्यौहारों से जुड़ीं बातें शामिल की जाती हैं। इनके अलावा, सोहर रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भी भजन के तौर पर भी गाया जाता है। 

महत्व 

सोहर गीत के संदर्भ में सोहिलो का मतलब मंगल शब्द से है। तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में इसका उल्लेख हकिया है। सोहर की उत्पत्ति की बात करते हैं, तो इसकी उत्पत्ति शोभन" से जुड़ी है। साथ ही शोभन की बात करें, तो यह शब्द सोभिलो ही सोहिलो सोहर के रूप में परिवर्तित होता हुआ। भोजपुरी में इसके अर्थ की बात करें, तो 'सोहल' का अर्थ अच्छा लगना या सुहाना लग्न है, जो संस्कृति के शोभन का रूप है। साथ ही मंगल गीत के रूप में गाया जाता है। इन दिनों कई नए कलाकारों ने भी नए वर्जन में इन गानों को प्रस्तुत किया है। सोहर गीत का शाब्दिक अर्थ है सुंदर या सुंदरता और इसे गाने से बच्चे की कोमलता को भी दर्शाया जाता है। 

स्त्री के जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव को भी है दर्शाता 

सोहर गीत केवल बच्चे के आगमन को ही नहीं दर्शाता है, बल्कि स्त्री जीवन में जो एक बदलाव आया है, उसे भी दर्शा देता है। दरअसल, सोहर गीत में इसका वर्णन है कि जब स्त्री की मानसिक और शारीरिक स्थिति में बदलाव होते हैं, तो वे कैसा महसूस करती हैं। गौरतलब है कि पहले केवल महिलाएं ही सोहर गाती थीं, लेकिन अब पुरुषों ने भी इसे गाना शुरू कर दिया है और सबसे अधिक मशहूर पद्मविभूषण पंडित छन्नू लाल महाराज ने सोहर को लोकप्रिय बनाया। कई फिल्मों में भी जम कर सोहर गीत गाये गए हैं। 

लोकप्रियता

अगर हम इसकी लोकप्रियता की बात करें, तो अन्य लोक गीतों की यह कई पीढ़ियों के लिहाज से आगे बढ़ रहा है। साथ ही अब तो हर राज्य में अपनी भाषाओं में यह गीत गाया जा रहा है। इन गीतों के साथ अच्छी बात यह है कि किसी एक वर्ग विशेष के द्वारा नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों के लोगों के द्वारा गाया जाने वाला लोकगीत है। यह गीत अपने प्रियजनों और बड़ों से आशीर्वाद प्राप्त करने का एक संगीतमय माध्यम है। इन गीतों के माध्यम से परिजन अपने मन की खुशी और उल्लास को प्रकट करते हैं। 

लोकप्रिय सोहर गीत

सबसे लोकप्रिय सोहर गीत की बात करें, तो सबसे लोकप्रिय गीतों में सोहर गीत माना जाता है और वह है जुग-जग जिए ललनवा

जुग जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो

ललना लाल होइहे, कुलवा के दीपक मनवा में आस लागल हो॥

आज के दिनवा सुहावन, रतिया लुभावन हो,

ललना दिदिया के होरिला जनमले, होरिलवा बडा सुन्दर हो॥

नकिया त हवे जैसे बाबुजी के, अंखिया ह माई के हो

ललन मुहवा ह चनवा सुरुजवा त सगरो अन्जोर भइले हो॥

सासु सुहागिन बड भागिन, अन धन लुटावेली हो

 

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