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पोहा : हल्के-फुल्के नाश्ते की कमाल की विरासत

टीम Her Circle |  दिसंबर 01, 2024

हमारे देश भारत में नाश्ता करना अपने आप में एक खास संस्कृति है, जहां हर क्षेत्र की कुछ न कुछ डिश ऐसी होती है, जिसे लोग खाना बेहद पसंद करते हैं। लेकिन पोहा ने अपनी एक ही पहचान बना ली है, आइए जानें विस्तार से। भारत में किस तरह पोहा कई राज्यों में लोकप्रिय हो गया। 

कैसे आया पोहा अस्तित्व में 

पोहा बनाने का प्रचलन प्राचीन भारत से आया है, यह पहले चावल का आहार माना जाता था। दरअसल, चावल को हल्का उबालने की तकनीक, जिसमें चावल को पकाने की संस्कृति को भारतीय उपमहाद्वीप में विकसित किया गया था। इस विधि का उपयोग न केवल चावल की ‘शेल्फ लाइफ’ को बढ़ाने के लिए किया गया, बल्कि इसकी खूबी रही कि इसमें पोषण तत्व भी अधिक रहते हैं।  बता दें कि बाद में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित भारत के विभिन्न क्षेत्रों में चावल को हल्का उबालना एक आम प्रचलन थी। समय के साथ, यह उबले हुए चावल पोहा के नाम से लोकप्रिय हो गए। पोहा चुड़ा को पानी में भिगो देने के बाद, उसमें से पानी निकाल कर, टेस्टी तरीके से तड़के के साथ और सब्जियों के साथ बनाया जाता है। 

इंदौर का पोहा 

दरअसल, पोहा देश की आजादी से पहले ये महाराष्ट्र और मारवाड़ी लोगों का पारंपरिक व्‍यंजन हुआ करता था और केवल उन्‍हीं की रसोई तक सीमित रहता है। लेकिन इंदौर से पोहे का नाता आजादी के बाद जुड़ा और  पुरुषोत्तम जोशी नाम के एक व्यक्ति का नाम इससे जुड़ा हुआ है, माना जा रहा है कि आजादी के बाद जब देश में नियमित रूप से काम करने की शुरुआत करने लगा, उस वक्त रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के निजामपुर से पुरुषोत्तम जोशी इंदौर आए और फिर धीरे-धीरे वहां उन्हें लोगों का साथ पसंद आया और फिर उन्होंने इंदौर में लोगों को पोहे का स्वाद चखा दिया। फिर धीरे-धीरे वहां लोगों ने इसे लोकप्रिय नाश्ता का रूप दे दिया। 

सांस्कृतिक महत्व 

गौरतलब है कि पोहा विशेष रूप से भारत के पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सांस्कृतिक महत्व रखने वाला माना जाता है। अब यह पारंपरिक महाराष्ट्र के नाश्ते का रूप मान लिया गया है और यहां यह कांदा पोहा  के नाम से जाना जाता है, जहां स्वाद बढ़ाने के लिए प्याज और मसाले मिलाए जाते हैं। वहीं मध्य प्रदेश में, पोहा राज्य की पाक विरासत में एक विशेष स्थान रखता है। इसके साथ जलेबी खाने की परम्परा शुरू हो गई है, जिससे मीठे और नमकीन स्वाद का एक अलग जो मिश्रण बनता है। बता दें कि पोहा-जलेबी एक ऐसा लोकप्रिय नाश्ता बन चुका है, जिसके खाने का मजा और आनंद लेना हर उम्र के लोग चाहते हैं। फिर अगर राजस्थान की बात करें तो पोहा को यहां पोहा चिवड़ा के नाम से जाना जाता है और यह एक लोकप्रिय नाश्ता है, जहां इसका आनंद चाय के साथ लिया जाता है। इसे अक्सर हल्दी, सरसों के बीज और करी पत्ते के अलावा मसालों के साथ बनाया जाता है, जो इसे और स्वादिष्ट बना देता है। महाभारत में सुदामा ने भिगोये हुए चुड़े अपने दोस्त कृष्ण को दिया था, ऐसी मान्यता है।  

अलग-अलग राज्यों में अलग पोहा

अलग-अलग राज्यों में अलग तरह के नाम से और थोड़े बदलाव के साथ पोहा तैयार किया जाता है और पसंद किया जाता है। बात अगर राज्यों की करें, तो भारत के पूर्वी राज्यों, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल और ओडिशा में, पोहा को ‘चिरे’ के नाम से जाना जाता है और एक लोकप्रिय नाश्ते के रूप में खाया जाता है। फिर अगर भारत के दक्षिणी हिस्सों की बात करें, तो तमिलनाडु में इसे अवल उपमा के नाम से जाना जाता है और इसे सरसों के बीज, करी पत्ते और कसा हुआ नारियल के साथ तैयार किया जाता है, वहीं कर्नाटक में, पोहा को अवलाक्की के नाम से जाना जाता है और इसमें मूंगफली और कद्दूकस की हुई गाजर भी मिलाई जाती है। थाईलैंड की बात करें तो पोहा को वहां खाओ पैड के रूप में जाना जाता है, जिसे कई तरह के चावल और अंडे के साथ बनाया जाता है। बिहार और बनारस में इसे ठंड के महीने में मटर और गोभी के साथ पकाया जाता है और शौक से खाया जाता है।

 

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