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होम / एन्गेज / संस्कृति / पॉप-कल्चर

उत्तर प्रदेश-बिहार में मौजूद है भारत की सबसे बड़ी लाइब्रेरी, पढ़ें दिलचस्प जानकारी

प्राची |  दिसंबर 11, 2024

शिक्षा और पढ़ाई के लिहाज से उत्तर प्रदेश और बिहार हमेशा से धनी रहा है। एक दौर ऐसा रहा है, जब बिहार की धरती पर नालंदा और विक्रमशिला जैसे शिक्षा के केंद्र ज्ञान का पाठ पूरी दुनिया को पढ़ा रहे थे। शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश और बिहार का इतिहास गौरवशाली रहा है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश और बिहार में किताबों की कई सारी दुनिया है। कई सारी ऐसी लाइब्रेरी हैं, जो कि देश और विदेश में अपनी पहचान कायम कर चुकी हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।

प्रयागराज पब्लिक पुस्तकालय

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी मौजूद है। इसकी गिनती देश के सबसे लोकप्रिय लाइब्रेरी में होती है। यह देश के सबसे लोकप्रिय पुस्तकालयों में से एक है। इसकी स्थापना 1864 के दौरान हुई थी। इस लाइब्रेरी की बनावट काफी खूबसूरत है, वहीं इस लाइब्रेरी में किताबों का अद्भुत खजाना भी मौजूद है। आपको जानकर हैरानी होगी कि 8 जनवरी 1887 को उत्तर प्रदेश विधानसभा की पहली बैठक भी इसी लाइब्रेरी में हुई थी। यह लाइब्रेरी कंपनी बाग में मौजूद है और कई पर्यटकों को आकर्षण का केंद्र भी है। इस पुस्तकालय में एक लाख से अधिक पुस्तकें, 22 समाचार पत्र, 34 मैगजीन के साथ फारसी, बांग्ला के साथ कई अन्य भाषाओं में पांडुलिपियां भी मौजूद हैं। इस लाइब्रेरी का इस्तेमाल 200 से अधिक पाठक करते हैं।

मौलाना आजाद और रामपुर रजा पुस्तकालय

अलीगढ़ में मौलाना आजाद लाइब्रेरी की स्थापना साल 1875 में की गई। यहां पर अलीगढ़ विश्वविद्यालय की किताबें सबसे अधिक मौजूद हैं। यह लाइब्रेरी भारत की सबसे बड़ी और एशिया की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी मानी जाती है। इसके साथ यह अपनी सुंदरता के लिए भी काफी लोकप्रिय है। इस केंद्रीय पुस्तकालय में 80 से अधिक विभागीय पुस्तकालय हैं। इसके बाद बारी आती है, रामपुर रजा लाइब्रेरी की, जो कि साल 1774 में नवाब फैजल खान ने स्थापित किया था। यहां पर दुर्लभ किताबें और पांडुलिपि मौजूद हैं। 

भारतीय भवन और सरस्वती पुस्तकालय

भारतीय भवन लाइब्रेरी इलाहाबाद में मौजूद हैं, इस लाइब्रेरी को बाल कृष्ण भट्ट और पंडित मदन मोहन मालवीय ने साल 1889 में साथ में मिलकर स्थापित किया था, वहीं सरस्वती भवन लाइब्रेरी में संस्कृत पांडुलिपियों का खजाना मौजूद है। यहां पर आपको पुराने कागज और लकड़ी के पन्नों के साथ कपड़े और ताड़ के पत्तों पर लिखी हुईं पांडुलिपियां मिल जायेंगी।

सयाजी राव गायकवाड़ और थॉर्नहिल मायने मेमोरियल

सयाजी राव गायकवाड़ लाइब्रेरी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का सबसे प्रमुख पुस्तकालय माना जाता है। 1917 में स्थापित इस लाइब्रेरी को केंद्रीय पुस्तकालय भी कहते हैं। थॉर्नहिल मायने मेमोरियल लाइब्रेरी अंग्रेजों के समय से मौजूद है। यहां पर इतिहास से जुड़ी हुई कई जरूरी किताबें मौजूद हैं। 

बिहार में राज्य की सबसे पुरानी लाइब्रेरी

बिहार के गया में राज्य की सबसे पुरानी लाइब्रेरी मौजूद है। 1855 में इसे अंग्रेजों द्वारा स्थापित किया गया था। कई सारी ऐतिहासिक धरोहर इस लाइब्रेरी के अंदर मौजूद है। इस लाइब्रेरी को बिहार का म्यूजियम भी कहा जाता है। यहां पर देश के इतिहास से जुड़ी भी कई जरूरी किताबें मौजूद हैं। महापुरुषों की जीवन गाथा से जुड़ी हुई कई जरूरी किताबें आपको यहां पर मिलेगी। यहां पर जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी से जुड़ी हुई भी कई सारी किताबें हैं। यह भी जान लें कि संविधान की मूल प्रति यानी कि ओरिजनल कॉपी को भी बिहार के गया की इस लाइब्रेरी में रखा गया है। पटना में खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी मौजूद है। इसकी स्थापना 28 अक्टूबर 1891 को सर मुहम्मद बख्श द्वारा की गई। मुहम्मद बख्श खान पटना के लोकप्रिय वकील और जमींदार थे। यहां पर आपको 35 हजार दुर्लभ पांडुलिपि मिल जायेंगी।

भारतीय लाइब्रेरी ( पुस्तकालय) से जुड़ी जरूरी जानकारी

कोलकाता में भारत की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है। इसकी स्थापना साल 1948 में की गई है। इस लाइब्रेरी को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया गया है। यह भी जान लें कि एस आर रंगनाथन भारत के गणितज्ञ और पुस्तकालय जगत के जनक थे। दिलचस्प है कि एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी जैसलमेर और पोकरण के बीच बने भदिया राय माता मंदिर में मौजूद है। इस लाइब्रेरी में दुनिया के सभी नोवेल, ग्रंथ और पांडुलिपि के साथ कई महान नेताओं के भाषण मौजूद है। हर साल 12 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस मनाया जाता है।

 

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