img
हेल्प
settings about us
  • follow us
  • follow us
write to us:
Hercircle.in@ril.com
terms of use | privacy policy � 2021 herCircle

  • होम
  • कनेक्ट
  • एक्स्क्लूसिव
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प

search

search
all
communities
people
articles
videos
experts
courses
masterclasses
DIY
Job
notifications
img
Priority notifications
view more notifications
ArticleImage
होम / एन्गेज / संस्कृति / पॉप-कल्चर

कहां खोया संदूक में रखा हाथ पंखा, जो देता था गांव के घरों में सुकून की नींद

प्राची |  फ़रवरी 05, 2025

ये उन दिनों की बात है ,जब चेहरे पर मां के आंचल की छांव, कानों में मां की लोरी की गुनगुनाहट और मां के हाथों में लहराता हुआ हाथ पंखा बचपन के सुकून भरी नींद का एकमात्र उपचार कहलाता था। हाथ पंखा के बिना मेहमानों का आवभगत भी अधूरा रह जाता और गर्मी में लू की बरसती हुई गर्मी से बचाने में हाथ पंखा एयर कंडिशनर का काम कर जाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान के साथ गुजरात और यहां तक कि देश के हर गांव में हाथ पंखा गर्मी से राहत देने वाला मजबूत साथी है। भारत की संस्कृति से हाथ पंखा का रिश्ता वही है, जो रिश्ता गांव में अंधेरे को दूर करने के लिए दीया और बाती का रहा है। उत्तर प्रदेश में इसे ‘बेना’ कहा जाता है, वहीं कुछ जगह पर इसे ‘बिजना’ भी कहते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि गांव में एक समय ऐसा था कि घर में हाथ पंखा होना उस व्यक्ति की आर्थिक संपन्नता का सूचक माना जाता था। मेहमान के आने के साथ ही गुड़ का रस और हाथ पंखा  की ठंडक सुखद यात्रा के अंत का बयान करती थी। आइए विस्तार से जानते हैं हाथ पंखा के बारे में।

पुराने रंग-बिरंगे कपड़े से सजावट

गांव में ठंड के खत्म होने पर रजाई को अलमारी में रखा जाता, तो वहीं संदूक से कई सारे रंग-बिरंगे हाथ पंखा को निकाल कर घर के हर कमरे के कोने से लेकर बैठक यानी की हॉल में भी रख दिया जाता, वैसे इसे बनाने की तैयारी के लिए कोई तय समय नहीं है। जब भी घर कोई रंग-बिरंगा कपड़ा या फिर साड़ी फटने लगती, तो उस साड़ी के सबसे खूबसूरत टुकड़े को हाथ पंखा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। लाल और पीली न जाने कितने कपड़ों की कतरन से इस हाथ पंखें की सौंदर्य को निखारा जाता था।

ऐसे बनाया जाता है हाथ पंखा

हाथ पंखा को बनाने के लिए कपड़े की कई सारी कतरन को जुटाकर उनके टुकड़े डिजाइन में काट लिए जाते हैं। बांस की पतली लकड़ियों को बुनकर हाथ पंखा तैयार किया जाता है। फिर एक समय निकालकर हाथ पंखा  के किनारे पर कपड़े के डिजाइन से बने गोटे लगाए जाते। कई लोग बाजार से भी हाथ पंखा खरीदकर लाते हैं। आने वाली पीढ़ी को शायद इसका अंदाजा नहीं है कि हाथ पंखें की खूबी क्या होती थी? गांव में बिजली नहीं होती थी, ऐसे में हाथ पंखें के सहारे ही लोग रात में सोने से लेकर बारात को देर रात ठहरने के दौरान से हवा देने के लिए हाथ पंखे की सेवा देते थे।

भारत में पंखों की संस्कृति दशकों पुरानी 

हाथ पंखे का उल्लेख रामायण और महाभारत के समय से रहा है। देश के सबसे प्रख्यात कवि वाल्मीकि ने पंखें को लेकर कहा था कि ‘धुंधली रात में पंखा अर्धचंद्र की तरह चमक रहा था और वह चमकीले रंगों के गहनों से सजा हुआ था’। आपके लिए यह भी जानना दिलचस्प होगा कि ‘पंख’ शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई है। पंख शब्द को पक्षी के पंख से लिया गया है। माना गया है कि प्राचीन काल में पक्षी के पंख से ही पंखा करने की परंपरा थी, जिसे धीरे-धीरे विकसित करते हुए हाथ पंखा के तौर पर इस्तेमाल किया गया। यहां तक की राजमहल के दरबार में राजा के बगल में खड़े रहने वाले पहरेदार भी बड़े आकार के कपड़े के पंखों से हवा देने का काम करते थे। मेहमानों के लिए भी इसी तरह की व्यवस्था थी।

राजदरबार का पंखा 

राजा जहां बड़े पंखों का इस्तेमाल हवा लेने के लिए करते थे, वहीं राजा की प्रजा हाथ में लकड़ी पर फटे हुए कपड़ों के टुकड़ों से बुनाई करके छोटे आकार का हाथ पंखा बनाती थीं। भारत के कई गांवों में हाथ पंखें को कई तरह से विकसित किया गया। बांस, बेंत, ताड़ के पत्ते, रेशम, पीतल, चमड़े के साथ पंखों का निर्माण किया जाता रहा है। विज्ञान के विकास के साथ हाथ पंखें  की जगह गांवों में अब बिजली के पंखों, एयर कंडीशनर और कूलर ने ले ली है। वक्त के साथ जिस तरह से गांवों के शहरीकरण ने हाथ पंखें की अहमियत और जरूरत को भी न के बराबर कर दिया है। लेकिन अगर आप जब भी गांव जाएं, तो एक बार गांव के किसी घर में जाकर यह जरूर पूछें कि उनके पास हाथ पंखा है?  अगर आपको हाथ पंखा मिले, तो उसे गांव की संस्कृति की धरोहर मानें और एक बार जरूर उसकी ठंडक का अहसास करें, जो कि आपको प्राकृतिक हवा का सुखद अहसास देगी, जो कि एयर कंडीशनर और पंखें की हवा में नहीं है।

 

शेयर करें
img
लिंक कॉपी किया!
edit
reply
होम
हेल्प
वीडियोज़
कनेक्ट
गोल्स
  • © herCircle

  • फॉलो अस
  • कनेक्ट
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प
  • हमें जानिए
  • सेटिंग्स
  • इस्तेमाल करने की शर्तें
  • प्राइवेसी पॉलिसी
  • कनेक्ट:
  • email हमें लिखें
    Hercircle.in@ril.com

  • वीमेंस कलेक्टिव

  • © 2020 her circle