हर साल जब भी टीचर्स डे का मौका आता है, एक बार हम में से हर एक शख्स है, जो इस बारे में नहीं सोचता होगा कि स्कूल में उनके टीचर्स के साथ क्या-क्या सीखा और फिर वे यादें भी वे कभी नहीं भूलते हैं। और इस तरह आपके स्कूल और आपके टीचर से आपके रिश्ते की संस्कृति बरकरार रहती है। आइए ऐसी कुछ यादों को याद कर लें।
वो स्टील के टिफिन डिब्बे से निकला अचार

टिफिन डिब्बे की जब भी बात आती है, तो आपको आपके स्कूल की याद जरूर आएगी, जब मम्मी आपको एक स्टील के टिफिन डिब्बे में अचार और रोटी भी लंच में दे दिया करते थे और उस दौर के शिक्षक कभी इस बात के लिए न तो आपकी शिकायत लगाते थे आज के समय की तरह कि लंच में ऐसा खाना क्यों लाये। इस बात के माध्यम से जाहिर है, एक नींव हम बच्चों में पड़ी कि हर दिन आपको लैविश खाना नहीं मिल सकता। कभी कम में भी जरूरत को पूरा किया जा सकता है। हर दिन आपके पेरेंट्स के लिए भी लंच में वेरायटी देना आसान नहीं होता है। साथ ही कोई फैंसी डिजाइन के डिब्बे न हों, तब भी कोई परेशानी नहीं है, आपको कभी इस बारे में सोचने की जरूरत नहीं होती कि दूसरे का टिफिन डिब्बा इतना सुंदर है। इससे उस वक्त से ही टीचर्स ने सीखा दिया था सस्टेंबिलिटी जरूरी है। न कि दिखावटीपन, क्योंकि उनका खुद का भी टिफिन तो स्टील का ही सामान्य-सा टिफिन हुआ करता था। और इन सबके अलावा, जब बीच क्लास में हमारे टिफिन नीचे गिर जाया करते थे और उसमें से आम का अचार निकल कर सीधे टीचर के पैरों पर जाता था, वह पहले टफ लुक तो देते थे, लेकिन अचानक से फिर हंस देते थे, उनकी वो स्माइल आज भी याद है और हमेशा सदाबहार ही रहेगी।
प्लेग्राउंड में पीछे से आया सपोर्ट

एक और बात जो हम या आप अपने टीचर्स के बारे में जरूर याद रखना चाहेंगे कि प्लेग्राउंड में बहुत ही शानदार खिलाड़ी रहे बच्चे को देख कर आप भी मेहनत करने के बावजूद जब न परफॉर्म करने के बाद, मायूस होकर बैठ जाएं और फिर अचानक पीछे से एक हाथ आपकी पीठ पर आये और सहलाते हुए बोले, कोई बात नहीं फिर से कोशिश करना है, फिर से ट्राई करेंगे। तुमने भाग लिया वो जरूरी है, हार जीत नहीं। आपके जीवन के वे टीचर शायद ही नहीं जानते होंगे कि उनका दिया यह हौसला हमेशा मदद करेगा जीवन में आपको कहीं भी कुछ भी नए कदम रखने में या कुछ नयी चीज ट्राई करने में आपको हिचकिचाहट नहीं होगी, सिर्फ उनके शब्दों से मिले हौसलों के कारण। जीवन में हर कदम पर कुछ कर दिखाने की कोशिश करने की कला आपको वही टीचर सीखा जाते हैं, इसलिए आपके जीवन में आपके वे प्राइमरी स्कूल के दौर वाले टीचर को कभी नहीं भूलना चाहिए।
चीजों को बिगाड़ने नहीं संवारने की सीख

याद है, जब हमें स्कूल में गार्डन में ले जाया जाता था और पौधे लगवाए जाते थे, हम में से ऐसे कई बच्चे होते थे, जो पौधे लगाने से अधिक उन्हें न लगने देने की फिराक में रहते थे, उस वक्त भी हमें वो एक टीचर होते थे, जो आकर समझाते थे कि चीजों को संवारना, उन्हें बिगाड़ने से अच्छा है, इसलिए हमें कभी नहीं भूलना चाहिए और जिस बच्चे ने भी इस बात को समझ लिया, आखिरकार उन्होंने इसे अपने जीवन में भी लागू किया और एक बेहतर भविष्य अपने लिये बनाया। इसलिए बेहद जरूरी है कि आप इस बात को सीखें।
ब्लैकबोर्ड भी था एक टीचर

आपको याद है, हर दिन सुबह जाने पर, हमें बेंच पर बैठते ही, जो सबसे पहली चीज दिखाई देती थी, वह थी ब्लैकबोर्ड पर लिखी कोई बात, वे या तो सुविचार होते थे या बहुत कुछ लिखा होता था, आप उनसे काफी कुछ सीखते थे। दरअसल, वहां रखे ब्लैक बोर्ड और चॉक और डस्टर भी आपको यह सिखलाते थे कि आपके जीवन में आप कुछ भी अपनी कहानी लिख सकते हो, पूरा ब्लैक बोर्ड जिंदगी का आपका है, वहीं अगर कभी कुछ चीजें पसंद न आये या आप असफल हो जाएं, तो उसे डस्टर से इरेज यानि मिटा देना है और आप जैसी जिंदगी जीना चाहते हैं, वैसी जिंदगी आप लिख सकते हो, आप आपकी जिंदगी के ब्लैकबोर्ड, चॉक और डस्टर सबकुछ हो।
स्कूल प्रेयर टाइम

क्या आपने कभी ऐसी बदमाशी की है कि स्कूल प्रेयर में झूठा बहाना बनाया है और क्लास में वापस चले गए हों और टीचर्स भी यह बात उस वक्त समझ लेते हैं, लेकिन स्टूडेंट्स को कई बार वे खुद मौका देते हैं कि एक ही चीज वह बार-बार न दोहराएं। उस वक्त भी टीचर कुछ न कहते हुए, आपको यह सिखलाने की कोशिश करते हैं कि आप अगर अनुशासन में नहीं रहोगे तो आगे चल कर यह स्वभाव बन जायेगा, इसलिए बेहद जरूरी है कि अनुशासन को बरकरार रखा जाये और इस पर काम किया जाये। इसलिए उस वक्त के टीचर्स को भी आपको याद रखना चाहिए।