हाल ही में सान्या मल्होत्रा की फिल्म mrs (मिसेज) ओटीटी पर आयी। फिल्म ने कई घरेलू महिलाओं या होममेकर्स को दिल से कनेक्ट किया। इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि कहानी में डायरेक्टर आरती कदव ने उन पहलुओं को छुआ है, जिनका सामना हम जिंदगी में रोजाना करते हैं, आइए जानें क्यों यह फिल्म प्रासंगिक रहेगी और इस फिल्म में ऐसी कौन-सी बातें हैं, जो सीख दे जाती है।
पैशन से बढ़ कर कुछ नहीं

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फिल्म में नायिका डांसिंग करना पसंद करती हैं और यह सिर्फ उसकी हॉबी या शौक नहीं, बल्कि पैशन भी था, लेकिन शादी के बाद अपने पति, जो कि खुद डॉक्टर रहता है, उसके कहने पर छोड़ देती है, लेकिन ऐसा हरगिज नहीं करना चाहिए। अपने पैशन को अपने प्यार के लिए भी छोड़ना नहीं चाहिए, वरना लोग आपको फॉर ग्रांटेड लेने लगते हैं। खुद से प्यार करने से बढ़ कर कुछ नहीं होना चाहिए। अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार होना अपने परिवार वालों का अपमान करना नहीं है। अगर अपने जज्बे और पैशन को जीने के लिए परिवार वाले नाराज भी हों, तो इसमें आत्म-ग्लानि महसूस करने की जरूरत नहीं है। अंत में नायिका ने अपने पैशन को तवज्जो दी है और इस फिल्म का यह बड़ा टेक अवे है, जो जरूर हर महिला को लेनी चाहिए।
किसी से मुहर लगवाने की जरूरत नहीं
अक्सर देखा है कि ऐसी कई महिलाएं रहती है, जिन्हें अपने द्वारा खाना बनाने के बाद दूसरों से पूछना जरूरी होता है कि आज मैंने जो खाना बनाया है, कैसा लगा आपको खाने में। यह गलती कभी नहीं करना चाहिए, आपने खाना अच्छा बनाया है या नहीं, इसे जज करने का हक आपको होना चाहिए, किसी दूसरे के वैलिडेशन की जरूरत नहीं होनी चाहिए। जाहिर है आपके पूछने ही कि खाना कैसा बना है, सामने वाले आप एक हक देती हैं कि वह आपके खाने की मार्किंग करे, आप पर हक दिखाए कि खाना अच्छा बना है या नहीं, मजेदार बना है कि नहीं यह कमेंट करे। इसलिए आप इन बातों का ध्यान रखें कि आप सिम्पल हर दिन अगर खाना बनाती हैं, तो एक बड़ी जिम्मेदारी निभाती हैं, यह प्रिवेलेज है आपके परिवार के लिए, आप इसके लिए बाधित नहीं हैं, सो कभी इस बारे में पूछने की किसी से जरूरत नहीं है। फिल्म में जब भी नायिका अपने पति या ससुर जी से पूछती है कि खाना कैसा बना है, वे कमियां निकालना नहीं भूलते। रोटी और फुल्के में अंतर बताते हैं। यकीनन आपकी रोटी फूले न फूले, परिवार वालों को मुंह फूला ही रहेगा, भले ही आप जो भी कर लें, इसलिए आप खुद में अच्छा फील करें, यह फिल्म यह भी सिखाती है।
चटनी का स्वाद मिक्सर में भी उतना ही आएगा

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यह भी अक्सर देखा है कि खुद महिलाएं ही अपने परिवार वालों को कम्फर्ट देने के चक्कर में खुद पर पहाड़ लेकर बैठ जाती हैं, वह हमेशा ही पुरुषों का जरूरत से ज्यादा ख्याल रखने की चाहत रखती हैं और ख्याल कब खिदमत में बदल जाता है, पता नहीं चलता है। चटनी मिक्सर की जगह सिलवट्टे में पीस कर देना, तरह-तरह के पकवान हर दिन खाना बना कर खिलाना कि परिवार के पुरुष खुश रहें, उनके मन को बढ़ावा देना होता है और कुछ नहीं, जबकि खुद को हमेशा कंफर्ट देने के बारे में एक होम मेकर को सोचना चाहिए, क्योंकि अगर चटनी का स्वाद नहीं भी बिगड़ेगा तो हर दिन अधिक मेहनत करने से आपके स्वास्थ्य का स्वाद जरूर बिगड़ जायेगा। इसलिए इन बातों का ख्याल रखें, ज्यादा से ज्यादा ऐसे अप्लाइयसेन्स जो आपको राहत देते हैं, उनका इस्तेमाल करें, हिचके नहीं। 30 दिन में एक दिन जायका थोड़ा खराब भी हो जायेगा तो कोई बात नहीं, घर चला रही हैं, आप कोई होटल नहीं, जो शेफ जैसा हर दिन बेस्ट करना ही है। फिल्म में इस पहलू को भी खूबसूरती से दर्शाया गया है कि कैसे महिला को इस ओर सोचना चाहिए।
किचन ही जिंदगी नहीं
एक समस्या और महिलाओं में देखी हैं, जो होम मेकर्स होती हैं, उन्हें हमेशा ऐसा लगता है कि अभी नाश्ता बना लिया, अब लंच में क्या बनेगा, फिर स्नैक्स में क्या बनेगा, फिर डिनर में क्या बनेगा, दिन भर इस बारे में भी बातें करती हैं, किसको कौन-सी चटनी पसंद है, किसको कौन-सा पापड़, बस इसी मापदंड को बिठाने में महिलाएं रह जाती हैं और अपने लीजर पीरियड के बारे में बिल्कुल नहीं सोचतीं, जबकि उनको जरूर इस बारे में सोचना चाहिए कि मी टाइम निकालें, तभी आप अपने आप को स्ट्रेस से दूर कर पाएंगी। फिल्म में हर दिन नायिका को तरह-तरह के डिशेज बनाते हुए और अपने घर के पुरुषों की खुशी का ख्याल रखते हुए दिखाया गया है, लेकिन इस चक्कर में अपने अरमानों का कैसे गला घुटता है, यह भी दिखाया गया है, कितना भी कर लो, फिर भी खुश नहीं होने वाले परिवार वालों से अंतत: जिस तरह से नायिका दूरी बनाती है, वही सही रास्ता है।
क्रेडिट लेना सीखें
फिल्म के एक दृश्य में नायिका के घर आये मेहमान कहते हैं कि शिकंजी बनाना बच्चों का खेल नहीं, फिर मटन हम बनाएंगे, लेकिन सारा इंतजाम महिला करके दे, फिर तारीफ लूटना कि देखो हमने आज का खाना बनाया है, तो एक बात और यह फिल्म सिखाती है कि कभी भी अपने हिस्से का क्रेडिट किसी दूसरे को लेने नहीं दें, खुद को फॉर ग्रांटेड या अपने काम को भी फॉर ग्रांटेड न लें। आप यह परिवार वालों को भी जताएं कि आप जो कर रही हैं, वह एक बड़ा काम है और इसके लिए उनको क्रेडिट मिलना ही चाहिए।
जहां इज्जत नहीं रुके नहीं

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बहुत अधिक झेलने के बाद नायिका सबकी चिंता छोड़ कर कि लोग क्या कहेंगे, एक स्ट्रांग स्टेप लेती है और अपने टॉक्सिक पति की बजाय अपने पैशन को चुनती है, तो यह भी हमें सीखना चाहिए कि भले ही आपकी शादी को कई साल बीत गए हों, अगर रिश्ते में रिस्पेक्ट यानि इज्जत नहीं तो कभी भी वहां न रुकें, फौरन उस शादी से निकल जाएं। किसी को भी खुद को अत्याचार करने की इजाजत नहीं दें, जैसा कि फिल्म की नायिका करती है।
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