img
हेल्प
settings about us
  • follow us
  • follow us
write to us:
Hercircle.in@ril.com
terms of use | privacy policy � 2021 herCircle

  • होम
  • कनेक्ट
  • एक्स्क्लूसिव
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प

search

search
all
communities
people
articles
videos
experts
courses
masterclasses
DIY
Job
notifications
img
Priority notifications
view more notifications
ArticleImage
होम / एन्गेज / करियर & फ़ायनांस / फ़ायनांस

अपने लिए सही हेल्थ इंश्योरंस चुनने से पहले जान लें ये बातें

टीम Her Circle |  अक्टूबर 08, 2024

इसमें दो राय नहीं कि जीवन अनिश्चितताओं से भरा हुआ है और विशेष रूप से हेल्थ उनमें से एक है। ऐसे में समय रहते हेल्थ इंश्योरंस निकाल लेने में ही भलाई है। आइए जानते हैं, हेल्थ इंश्योरंस खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।

बेहद जरूरी है आयु सीमा का ध्यान रखना

जब बात आती है, अपने और अपने परिवार के लिए हेल्थ इंश्योरंस खरीदने की तो बाजार में इतने सारे हेल्थ इंश्योरंस को देखकर समझ ही नहीं आता कि किसे लें और किसे नहीं। फिलहाल आपको भी ऐसी ही दिक्कतें आती हों तो आप कुछ बातों का ध्यान रखते हुए अपने और अपने परिवार के लिए एकदम सही और सबसे बेहतरीन हेल्थ इंश्योरंस पॉलिसी चुन सकती हैं। हेल्थ इंश्योरंस खरीदते समय यूं तो कई बातों का ध्यान रखा जाना बेहद जरूरी है, लेकिन इनमें सबसे जरूरी है अपनी और अपनों की आयु अनुरूप सही हेल्थ इंश्योरंस का चुनाव करना। यदि आप व्यक्तिगत रूप से सिर्फ अपना हेल्थ इंश्योरंस करवा रही हैं, तो आपकी आयु अनुरूप प्रीमियम की राशि होगी, किंतु यदि आप पूरे फैमिली का हेल्थ इंश्योरंस एक साथ करवा रही हैं, तो फैमिली फ्लोटर पॉलिसी की तरह ही प्रीमियम की राशि परिवार के सबसे बड़े सदस्य की आयु पर आधारित होगी। गौरतलब है कि जितनी अधिक उम्र होगी, प्रीमियम राशि उतनी ही अधिक होगी। हालांकि यहां एक बात आपको और ध्यान देनी होगी कि कुछ कंपनियां ऐसी भी होती हैं, जिनमें 91 दिन के बच्चे से लेकर 60 वर्ष के बुजुर्गों या 25 वर्ष के युवाओं से लेकर 50 वर्ष के लोगों का ही बीमा किया जाता है। हां, इनमें कुछ ऐसी कंपनियां भी हैं, जिनमें आयु पर कोई सीमा तय नहीं होती और सच पूछिए तो यही आपके लिए सही होगी। 

प्रीमियम राशि के साथ वेटिंग पीरियड क्लॉज भी जानें 

आयु के बाद हेल्थ इंश्योरंस से जुड़ा अगला सबसे जरूरी तत्व है, प्रीमियम राशि। आम तौर पर सबसे कम प्रीमियम वाली हेल्थ इंश्योरंस पॉलिसी लोगों को ज्यादा आकर्षित करती है, क्योंकि कम प्रीमियम में ये ज्यादा कवरेज देती है। हालांकि आदर्श हेल्थ इंश्योरंस वे होते हैं. जिनमें कम प्रीमियम में ज्यादा कवरेज के साथ आपको क्लेम के समय अधिक भुगतान न करना पड़े। ऐसे में लुभावने हेल्थ इंश्योरंस के पीछे भागने की बजाय उसकी सारी बारीकियां आप जान लें और बेनेफिट्स से समझौता किए बिना ऐसी पॉलिसी खरीदें जो आपको कम प्रीमियम में ज्यादा कवरेज दें। प्रीमियम राशि के साथ आपको वेटिंग पीरियड क्लॉज से भी अवगत होना होगा, क्योंकि अगर आपको इसके बारे में पता होगा, तभी आप एक सही निर्णय ले पाएंगी। आम तौर पर कंपनी अपनी पॉलिसी देते वक्त किसी विशिष्ट बीमारियों या पहले से मौजूद उन बीमारियों को अपनी पॉलिसी में शामिल नहीं करती। इसके अलावा कुछ कपनियां आपको एक समय सीमा देती हैं, और उसके बाद आपकी योजना को स्वीकार कर लेती हैं। ऐसे में कोशिश कीजिए कि आप उन कंपनियों को महत्व दें, जो आपकी जरूरत को समझें।

कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन के साथ अन्य खर्चे भी हों शामिल

पैसा हो यह बात बेहद जरूरी है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है कि वो हर वक्त रहे। अक्सर अपने या अपनों की बीमारी में पैसा न होना हमें बेहद खलता है। ऐसे में हेल्थ इंश्योरंस लेते समय इस बात का खास ख्याल रखें कि आप उन्हीं योजनाओं और हॉस्पिटल्स को चुनें, जिनमें कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन की सुविधा मौजूद हो। इससे किसी भी मेडिकल इमरजेंसी में न सिर्फ आप पैसों की तरफ से निश्चिंत हो जाती हैं, बल्कि एडमिशन और क्लेम के समय ढेर सारी कागजी कारवाईयों से भी बच जाती हैं। यकीन मानिए इससे आपकी बहुत बड़ी समस्या हल हो जाएगी क्योंकि किसी की बीमारी से यदि आप पहले ही आहत हैं और उस पर पैसों के बारे में भी सोचना पड़े तो आप समझ सकती हैं कि हालात क्या हो सकते हैं। जैसा कि आपने जाना कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन सुविधाओं के अंतर्गत आम तौर पर सिर्फ उपचार का खर्च इंश्योरंस कंपनी देती है, लेकिन बाकी के छोटे-मोटे खर्च जैसे, दवाइयां, ब्लड टेस्ट, डॉक्टर की फीस और एम्बुलेंस सर्विस आपको ही अपनी जेब से चुकाना पड़ता है। ऐसे में कोई भी हेल्थ इंश्योरंस लेते वक्त आप अपने एजेंट या कंपनी से इस बात की भी पुष्टि कर लें कि आपकी पॉलिसी में हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले और बाद के अन्य खर्च भी कवर हों।  

नो-क्लेम-बोनस के साथ मैटर्निटी बेनिफिट्स को न करें नजरअंदाज

पहले कई ऐसी हेल्थ इंश्योरंस कंपनियां थीं, जो मैटर्निटी बेनिफिट्स नहीं देती थीं, लेकिन कॉम्पटीशन के इस दौर में कई ऐसी हेल्थ इंश्योरंस कंपनियां बाजार में आ चुकी हैं, जो मैटर्निटी बेनिफिट्स के कई फायदे देती हैं। ऐसे में अपने लिए एक बेहतर हेल्थ इंश्योरंस का चुनाव करते समय मैटर्निटी बेनिफिट्स को नजरअंदाज न करें। सच पूछिए तो मैटर्निटी से जुड़े ढेरों खर्चों को देखते हुए इसे नजरअंदाज किया भी नहीं जाना चाहिए। गौरतलब है कि मैटर्निटी बेनिफिट्स क्लेम करने के लिए 2 से 4 वर्ष का वेटिंग पीरियड होता है। ऐसे में यदि आप अभी शादी कर रही हैं और तीन साल बाद मां बनने की योजना बना रही हैं, तो आपके लिए 2 साल का वेटिंग पीरियड क्लॉज वाली पॉलिसी फायदेमंद साबित होगी। हालांकि पॉलिसी लेते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि इसमें डिलीवरी खर्चों के साथ बच्चे के मेडिकल एक्स्पेंसेस भी जुड़े हों। अपने लिए सही हेल्थ इंश्योरंस का चुनाव करते समय इन फायदों के अलावा यह भी देखिए कि जिस कंपनी से आप पॉलिसी ले रही हैं, उनके यहाँ नो-क्लेम-बोनस की सुविधा दी जाती हो। नो-क्लेम-बोनस आम तौर पर वह सुविधा है, जिसके अंतर्गत पॉलिसी रिन्यूअल के समय नहीं लिए गए क्लेम को बोनस के तौर पर आपकी राशि में जोड़ दिया जाता है। वैसे आजकल हर कंपनी ऐसा करती है, लेकिन पॉलिसी लेते वक्त आप इस बात का जिक्र करना न भूलें।  

मेडिकल हेल्थ चेक-अप को न करें अनदेखा

कभी असमय, तो कभी उम्र के साथ कई बीमारियां हमें आ दबोचती हैं। ऐसे में उनसे पीछा छुडाने के लिए जरूरी है मेडिकल हेल्थ चेक-अप, जो सामान्य तौर पर काफी महंगे होते हैं। ऐसे में हेल्थ इंश्योरंस लेते समय आप उन सुविधाओं के बारे में बात करना न भूलें, जिसमें आपको वर्ष में कम से कम 2 बार या जरूरत पड़ने पर अपने पसंदीदा हॉस्पिटल में मेडिकल हेल्थ चेक-अप की सुविधा मिल सके। विशेष रूप से हार्ट चेक-अप के साथ कैंसर स्क्रीनिंग और एमआरआई की सुविधा बेहद जरूरी है और अच्छी बात यह है कि कुछ कंपनियां बेहद कम प्रीमियम में ये सुविधाएं देती भी हैं। तो पॉलिसी लेते वक्त इन बातों की तरफ अपने एजेंट या कंपनी का ध्यान ले जाना न भूलें। यकीन मानिए इससे आपके बहुत सारे पैसे बच जाएंगे। 

को-क्लेम कॉज चुनें, लेकिन सोच-समझकर

इसके बाद जो सबसे जरूरी है, वो है को-पेमेंट क्लॉज को समझना। बहुत से लोगों को यह क्लॉज समझ ही नहीं आता और वे इस क्लॉज को अनदेखा कर देते हैं, लेकिन आप ऐसी गलती मत कीजिएगा। दरअसल को-पेमेंट क्लॉज के अंर्तगत आपको पॉलिसी दावे के समय मूल राशि का एक तय प्रतिशत कंपनी को देना होता है, इसलिए अपनी मेडिक्लेम पॉलिसी पर साइन करने से पहले को-पेमेंट क्लॉज जांच लें। हालांकि आपके लिए बेहतर यही होगा कि आप कोई ऐसा प्लान लें, जिसमें सब-लिमिट ही न हो। आम तौर पर यदि आपको कोई मेडिकल इश्यूज हैं या आप अपनी निश्चित आयु सीमा पार कर चुकी हैं, तो ऐसे में अधिकतर कंपनियां को-पेमेंट क्लॉज रखती ही हैं, जिसे आपको न चाहते हुए भी एक्सेप्ट करना ही होता है। लेकिन यकीन मानिए उन्हें भुगतान करनेवाली राशि आपके मेडिकल एक्सपेंस से कम ही होगी, तो आप अपनी सुविधानुसार निश्चिंत होकर इस क्लॉज को स्वीकार कर सकती हैं।

 

शेयर करें
img
लिंक कॉपी किया!
edit
reply
होम
हेल्प
वीडियोज़
कनेक्ट
गोल्स
  • © herCircle

  • फॉलो अस
  • कनेक्ट
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प
  • हमें जानिए
  • सेटिंग्स
  • इस्तेमाल करने की शर्तें
  • प्राइवेसी पॉलिसी
  • कनेक्ट:
  • email हमें लिखें
    Hercircle.in@ril.com

  • वीमेंस कलेक्टिव

  • © 2020 her circle