नौकरीपेशा की जुबान पर ग्रेच्युटी शब्द के बारे में सुनते रहे हैं, आइए जानते हैं विस्तार से कि आखिर इसका महत्व क्या है।
क्या है ग्रेच्युटी
ग्रेच्युटी से तात्पर्य यह है कि यह उस राशि को कहते हैं, जो एक नियोक्ता अपने कर्मचारी को कंपनी को दी गई सेवाओं के बदले में भुगतान करता है। हालांकि, ग्रेच्युटी की रकम केवल उन्हीं कर्मचारियों को दी जाती है जो कंपनी में पांच साल या उससे अधिक समय से कार्यरत हैं। यह ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 द्वारा शासित है। एक जानकारी यह भी रखनी चाहिए कि किसी दुर्घटना या किसी बीमारी के कारण दिव्यांग होने पर कर्मचारी को पांच साल से पहले ग्रेच्युटी मिल सकती है। ग्रेच्युटी मुख्य रूप से आपके लास्ट ड्रोन सैलेरी यानी आखिरी निकाली गई सैलेरी होती है और कंपनी को प्रदान की गई सेवा के वर्षों पर निर्भर करती है।
क्या है ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972
गौरतलब है कि प्रत्येक कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए 'ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट' का निर्माण वर्ष 1972 में किया गया था, ताकि कोई भी कंपनी गलत तरीके से किसी कर्मचारी का हक नहीं मार सके। आपको जानकारी होनी चाहिए कि इस कानून के तहत खनन क्षेत्रों, फैक्ट्रियों, ऑइल फील्ड्स, वन क्षेत्रों, कंपनियों और बंदरगाहों जैसे अन्य सभी क्षेत्रों में काम करने वाली उन संस्थाओं के कर्मचारियों को शामिल किया गया, जहां 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।
किसे मिलती है ग्रेच्युटी
यह जानना तो बेहद आवश्यक है कि आखिर ग्रेच्युटी किसे मिलती है। दरअसल, ग्रेच्युटी प्राप्त करने के लिए कुछ शर्तें होती हैं, जिनमें आपको सेवानिवृत्ति के लिए पात्र होना चाहिए या फिर आप सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके हों या फिर आपने किसी एक कंपनी में लगातार पांच साल तक नौकरी करने के बाद इस्तीफा दे दिया हो या आपकी मृत्यु के तहत नामांकित व्यक्ति को या किसी बीमारी या दुर्घटना के कारण विकलांगता पर आपको ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है।
क्या है ग्रेच्युटी कैलकुलेटर
अगर हम ग्रेच्युटी कैलकुलेटर की बात करें, तो यह एक ऐसा माध्यम है, जो आपको लगातार पांच साल की सेवा प्रदान करने के बाद नौकरी छोड़ने पर मिलने वाली राशि का अनुमान बता देता है। यह कंपनी से सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी की गणना करने के लिए यह एक उपयोगी माध्यम है।
कैसे होता है मूल्यांकन
यह जानना भी आपके लिए बेहद जरूरी है कि इसको कैसे कैलकुलेट करते हैं, तो इसका तरीका यह होता है कि आखिरी वेतन= मूल वेतन+महंगाई भत्ता+बिक्री पर मिला कमीशन, इस फॉर्मूले में महीने में 26 दिन कार्यदिवस मानकर कर्मचारी को 15 दिन का औसत निकालकर भुगतान किया जाता है। फिर नौकरी की अवधि= नौकरी के आखिरी साल में 6 महीने से ऊपर काम करने की स्थिति में उसे पूरा साल माना जाता है। जैसे 5 साल 7 महीने नौकरी करने की स्थिति में उसे 6 साल ही माना जाएगा।