महिलाएं समाज का मजबूत स्तंभ मानी जाती हैं, इसके बावजूद कई सारी ऐसी महिलाएं हैं, जो कि खुद को मिलने वाले कानूनी अधिकार से अनजान रहती हैं, जबकि भारतीय कानून में महिलाओं की सुरक्षा के साथ उन्हें प्रगतिशील बनाने के लिए कई सारे कानून बनाए गए हैं। अक्सर महिलाएं कानून का नाम सुनकर परेशान हो जाती हैं, हालांकि ऐसा होता नहीं है। अपने निजी और प्रोफेशनल जिंदगी को सुरक्षा कवच देने के लिए महिलाओं को उन कानूनों के बारे में अवश्य पता होना चाहिए, जो कि उनके जीवन की कई मुश्किल पड़ाव में अहम साथी बन सकती हैं। आइए जानते हैं विस्तार से महिलाओं से जुड़े 7 कानूनी अधिकारों के बारे में।
कार्यस्थल उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार
हर कामकाजी महिला को कार्यस्थल उत्पीड़न से जुड़ी जानकारी को अपने वर्क बुक में नोट कर लेना चाहिए। ऐसी कई सारी घटनाएं हैं, जो कि कार्यस्थल उत्पीड़न को लेकर हमें सुनने को मिलती रहती हैं, इस वजह से यह जान लेना जरूरी है कि कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न निवारण, निषेध एवं निदान अधिनियम, 2013 के तहत सुरक्षा मिलती है। इस अधिनियम के तहत महिलाएं कार्यस्थल पर हुए शारीरिक उत्पीड़न या फिर यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती हैं।
महिला की पहचान की रक्षा

महिलाओं के पास एक विशेष अधिकार भारतीय दंड सहिता की धारा-228(A) के जरिए मिलती हैं। इस अधिकार के तहत महिलाएं अगर यौन उत्पीड़न का शिकार हुई हैं, तो वह अपनी पहचान की रक्षा कर सकती हैं। आपात स्थिति में महिला अपनी पूरी जानकारी को गुप्त रख सकती हैं।
मुफ्त कानूनी सलाह का अधिकार
कई बार ऐसा होता है कि निजी और प्रोफेशनल जिंदगी में कानूनी सलाह की जरूरत महिलाओं को पड़ती हैं, ऐसे में महिलाएं किसी भी मामले में कानूनी सलाह ले सकती हैं, वो भी निःशुल्क। उल्लेखनीय है कि मुफ्त कानूनी सहायता भारत के संविधान के अनुच्छेद 39(A) के तहत निहित एक निर्देश है, जिसके कारण समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता मिलती है।
समान वेतन अधिनियम,1976

महिलाओं को कार्यक्षेत्र में बराबरी का दर्जा देने के लिए समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 मौजूद है। यह महिलाओं के साथ होने वाले सैलरी के भेदभाव को रोकता है। इस अधिनियम के जरिए महिलाएं को पुरुषों के बराबरी लाकर मजबतू से खड़ा करता है।
वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार

कोई भी महिला ईमेल या फिर किसी भी वर्चुअल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है। कोई भी महिला खुद की रक्षा के लिए रजिस्टर्ड पोस्टल एड्रेस के जरिए पुलिस थाने में चिट्ठी के द्वारा भी अपनी शिकायत पहुंचा सकती है।
अशोभनीय भाषा का प्रयोग

अगर किसी भी महिला के खिलाफ किसी भी तरह की अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया जाता है, तो ऐसा करना दंडनीय अपराध माना गया है।
जीरो एफआईआर अधिकार
इस अधिकार के तहत कोई भी महिला किसी भी व्यक्ति के खिलाफ किसी भी पुलिस स्टेशन में या कहीं से भी एफआईआर दर्ज करा सकती है, इसे जीरो एफआईआर अधिकार कहा जाता है।