नयी नौकरी को लेकर एक कहावत अब आम हो गई है कि नयी नौकरी और नए जूते, हमेशा ही काटते हैं, लेकिन समय के साथ, यह आप पर निर्भर करता है कि आप उस नौकरी के तौर-तरीके कैसे अपना रही हैं और किस तरह से खुद को तैयार कर रही हैं. ऐसे में हम आपको कुछ 5 टिप्स बनाने जा रहे हैं, जो आपको नौकरी के प्रोबेशन पीरियड यानी शुरुआती तीन महीने को बेहतर बनाने में काफी मदद करेंगे.
क्या होता है प्रोबेशन पीरियड
तो सबसे पहले तो यही जान लें कि प्रोबेशन पीरियड क्या होता है, हम यहाँ बताना चाहेंगे कि जब भी आप कोई नै कँपनी से जुड़ते हैं, तो हर कंपनी कर्मचारी के लिए तीन महीने या छह महीने का एक निर्धारित समय रखती है, जिसमें कर्मचारी को उस कम्पनी का स्थायी नहीं माना जाता है, उनके काम को लगभग इस अवधि में ध्यान से देखा जाता ही, परखा जाता है. यही नहीं कर्मचारी भी उस कंपनी को परखता है कि वह जो सोच कर इस कम्पनी का हिस्सा बनी थीं, क्या उस पैमाने पर वह कम्पनी परफेक्ट है, इन बातों को ध्यान में रखते हुए ही प्रोबेशन पीरियड की समय सीमा तय होती है. तो ऐसे में किस तरह से इसे सफलता पूर्वक पार लगाया जा सकता है, यह जान लेना जरूरी है.
शिकायती लहजा न पालें
किसी भी कम्पनी से जुड़ने के बाद, हमेशा यह स्थिति होती ही है कि आप पिछली कम्पनी, जहाँ से आप आये हैं, वहां से आप तुलना करने लगते हैं और कुछ भी कमोबेश हो, तो शिकायती अंदाज रखते हैं, बात-बात में एचआर के पास पहुँच जाते हैं, यह आपके लिए गलत इम्प्रेशन देता है, तो न तो किसी से कम्पनी के बारे में शिकायत करें और न ही तुलना करें, अगर कुछ कम्पनी में दिक्कत आ भी रही है तो खुद को और कम्पनी दोनों को समय दें, कम से कम तीन महीने का तो जरूर समय दें.
पॉजिटिव अप्रोच रखें और धैर्य रखें
यह एक अहम बात है, जिसका ध्यान रखना बेहद जरूरी है, हम कई बार इसके बारे में सोच नहीं पाते हैं, लेकिन यह जरूरी है, आप निराश होकर या आपकी निराशावादी सोच किसी भी कम्पनी को पसंद नयी आएगी, इसलिए सबसे पहले पॉजिटिव सोच लेकर नयी नौकरी ज्वाइन करें और प्रोबेशन तक तो धैर्य रख कर, पॉजिटिव अप्रोच के साथ काम करें, धैर्य रखना भी बेहद जरूरी है. हो सकता है कि हर दिन आपके लिए चैलेन्ज हो, हो सकता है कि हर दिन आपके मुताबिक़ न चले, लेकिन फिर भी खुद में धैर्य रख कर काम करने की कोशिश करें, इससे आपमें खुद यह गुण बढ़ेगा, तो आपके सीनियर भी इस बात को देखेंगे और समझेंगे.
किसी भी निर्णय पर फ़ौरन न आएं
कई बार ऐसा हो ही जाता है कि आप हर दिन घर आकर, नयी नौकरी को कोसने लगते हैं और आपको लगता है कई वर्क प्रेशर बहुत है, तो आप तुरंत उसे छोड़ देने के बारे में सोचने लगती हैं और तुरंत रिजाइन पर बात आ जाती है, लेकिन आप ऐसा हरगिज न करें, थोड़ा समय दें खुद को, परिस्थिति को, धीरे-धीरे लोगों से घुलने-मिलने के बाद, आपको माहौल में कुछ नयापन जरूर नजर आएगा और आप जरूर बेहतर पोजीशन में खुद को महसूस करेंगी, इसलिए अचानक से निर्णय एकदम न लें.
जितना टारगेट है, उससे ज्यादा परफॉर्म करने की कोशिश करें
कभी भी आलस्य को लेकर काम पर जाने की जरूरत नहीं है, खुद को एकदम एनर्जेटिक रखें और कोशिश करें कि आपको जितना काम दिया जा रहा है, उससे ज्यादा आप काम करें और उम्मीदों से अधिक परफॉर्म करें, ऐसे में अगर कम्पनी अच्छी और ईमानदार होगी, तो उसे आपकी मेहनत नजर आएगी और सम्भव है कि वह समय-समय सीधे तौर पर प्रोबेशन पीरियड खत्म होते ही,आपके बारे में कुछ और निर्णय लेना शुरू करें.
फीडबैक के लिए तैयार रहें और सहयोगी से रिलेशन बिल्ड अप करें
यह वह समय होता है, जब आप पर पूरी कम्पनी की नजर रहती है, इसके बारे में आपको पता नहीं चलता है, लेकिन कम्पनी के एचआर इसके लिए ही काम करते हैं, इसलिए इस समय जल्दी घर भागने या देर से ऑफिस आने वाली सोच से खुद को दूर रखें, साथ ही नयी चीजें सीखने और अपने बारे में फीडबैक लेने को भी तैयार रहें, इससे आपका एक इम्प्रेशन कम्पनी पर बनेगा ही, साथ ही अपने सहयोगियों से रिलेशनशिप बनाने का बेस्ट समय यही होता है और आपको इस बात में महारथ हासिल होनी चाहिए, क्योंकि कई कम्पनी पुराने कर्मचारी से भी आपके बारे में पूछताछ करने के बाद ही आपके प्रोबेशन को कन्फर्म पोजीशन में तब्दील करने के बारे में सोचती है.