और कैसी हो? क्या चल रहा है? क्या हाल-चाल? सब बढ़िया? हैलो, कैसी हो? ऐसे वाक्य आपने अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में एक नहीं कई बार सुने होंगे। यह सारे वाक्य केवल शब्दों की गिनती नहीं दिखाते हैं, बल्कि किसी से पूछे जाने वाले सकारात्मक रवैये को भी दर्शाते हैं। अफसोस है कि यह सभी वाक्य हमारी आम जिंदगी में घिसे-पिटे शब्दों की शब्दावली का हिस्सा बन चुकी हैं। वक्त के साथ अब इस तरह के वाक्य केवल किसी से मुलाकात का ऊबाऊ तरीका बन चुकी हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऑफिस या फिर रास्ते पर किसी परिचित से मुलाकात के दौरान अपने आप ही यह वाक्य हमारे दिमाग की मशीन से निकलकर और जुबान से फिसलकर ऐसे बाहर आ जाते हैं, जैसे कि किसी ने टेप रिकॉर्डर में कैसेट डालकर ऑन कर दिया हो। इसमें और निराशा तब आती है, जब सामने वाला व्यक्ति भी ऊबाऊ तरीके से इन सारे घिसे-पिटे बन चुके सवालों का जवाब भी बिना सुर-ताल पेश करता हैं। ऐसे में आखिर किसी से मुलाकात का ऐसा कौन-सा तरीका या फिर वाक्य अपनाया जाए, जो किसी अन्य से की गई आपकी मुलाकात को आम से दिलचस्प बना सकती है। इस बारे में हमने बात की काउंसलर श्वेता खंडकर से। आइए जानते हैं विस्तार से।
मैकेनिकल बनने से खुद को रोकें

काउंसलर श्वेता कहती हैं कि हाय हेलो, जैसे सवाल काफी मैकेनिकल होते हैं, यह अपने आप हमारी रोजमर्रा की जिंदगी के तरीके में शामिल हो जाते हैं और हमारी आदत का हिस्सा बन जाते हैं, जिसकी हमें जानकारी भी नहीं होती। तभी तो, किसी से भी मुलाकात के वक्त तुरंत हमारी जुबान से निकल पड़ता है कि कैसे हो? फिर जब हम सवाल पूछते हैं, तो जवाब के लिए सामने वाले का इंतजार भी नहीं करते और न तो, आंख मिलाकर मुलाकात का भाव प्रकट करते हैं। हम सभी को इसका अभ्यास हो गया है कि पूछो और आगे बढ़ जाओ।
बोलने से पहले थोड़ी देर सोचें

श्वेता अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहती हैं कि पुराने जमाने में कहा जाता था कि जब भी किसी से मुलाकात होती है, तो अपने भाव और शब्दों के साथ खुशी जाहिर करनी चाहिए। मेरे ख्याल से आप कैसे हो यह पूछने से ज्यादा यह जरूरी है कि सामने वाले व्यक्ति को यह जानकारी होनी चाहिए कि सच में आप उसके जवाब या फिर सवाल पूछने में दिलचस्पी रखते हैं या नहीं। जरूरी है कि किसी से मुलाकात के दौरान कुछ मिनट उसके पास ठहरने की कोशिश करें। ऐसा करने से सामने वाले व्यक्ति का ध्यान आपकी बातों की तरफ मुड़ जाएगा, जो आपकी मुलाकात की उपयोगिता को बढ़ाएगा।
जब हो किसी से मुलाकात, पूछें यह सारे सवाल

श्वेता बताती हैं कि मुलाकात के दौरान अपने सबसे पहले वाक्य का तरीका बदलें। वह आगे कहती हैं कि ऐसे पूछना चाहिए कि आप कैसे हैं आज? वो भी आंख से आंख मिलाते हुए। आप यह भी कह सकती हैं कि हाउ आर यू फीलिंग टुडे? यह भी काफी अच्छा होगा कि आप किसी से हाथ मिलाते हुए या फिर गले मिलते हुए मुलाकात करें, लेकिन यह ध्यान रखें कि सामने वाले व्यक्ति को हाथ मिलना या गले मिलना पसंद है या नहीं। साथ ही बातचीत को पूरा करने की कोशिश करें, जैसे आपने सामने वाले से पूछा कि आप कैसे हो? और फिर सामने से प्रतिक्रिया आयी कि मैं ठीक हूं, तो उसके आगे भी बातचीत को बढ़ाना चाहिए। जरूरी नहीं है कि आपको जैसा महसूस हो रहा है वैसा अहसास दूसरे को भी हो रहा हो।
बात को आगे बढ़ाने की करें कोशिश

श्वेता आगे कहती हैं कि कई बार बात को आगे बढ़ाना चाहिए, जैसे कि आप इस तरह शुरुआत कर सकती हैं कि कैसे हो? और फिर बात को आगे बढ़ाते हुए यह पूछ सकती हैं कि काम कैसा चल रहा है? कोई समस्या है? या फिर मैं कैसे मदद कर सकती हूं? मैं तुम्हारी बात सुनने के लिए तैयार हूं? और यह आपकी जुबान से पहले बॉडी लैग्वेंज से महसूस होना चाहिए। याद रखें कि जवाब सुनने के लिए वहां रुकना भी जरूरी है।
बनेगा सकारात्मक माहौल

इस लेख को पढ़ने के बाद हम उम्मीद करते हैं कि आप जब भी किसी से मुलाकात करेंगी, तो अपने बात शुरू करने का तरीका जरूर बदलने की कोशिश करेंगी, क्योंकि ऐसा करना न केवल सामने वाले व्यक्ति को सकारात्मकता देता है, बल्कि आपके खुद के लिए सुखद माहौल का निर्माण करता है। क्योंकि, एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, जग में रह जायेंगे प्यारे तेरे बोल।