मनोविज्ञान के प्रति अगर आपमें जूनून है और आप उस क्षेत्र में अपना प्रभावशाली करियर बनाना चाहती हैं, तो आइए जानते हैं उससे जुड़ी कुछ खास बातें।
मनोविज्ञान के लिए नामी यूनिवर्सिटी

मनोविज्ञान में अपना करियर बनाने के लिए सबसे जरूरी है मनोविज्ञान अर्थात साइकोलॉजी सब्जेक्ट के साथ ग्रेजुएशन करना। हालांकि उसके बाद मास्टर ऑफ आर्ट्स और मास्टर ऑफ साइंस करना बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे आपके करियर को न सिर्फ नई ऊंचाइयां मिलेंगी, बल्कि ये आपके करियर को व्यापक रूप भी देगा। हालांकि साइकोलॉजी एक बहुत बड़ा क्षेत्र है और इसमें करियर की ढ़ेर सारी संभावनाएं हैं, लेकिन सबसे पहले आपको उसकी आवश्यकताओं के बारे में जानना होगा। आम तौर पर मास्टर ऑफ आर्ट्स और मास्टर ऑफ साइंस 2 वर्ष की पढ़ाई होती है, जिसके अंतर्गत 4 सेमेस्टर होते हैं। इसमें आपको मनोविज्ञान से जुड़ी छोटी से छोटी बातें जानने का मौका मिलता है। हालांकि हमारे देश में ऐसे कई शिक्षण संस्थान हैं, जो मनोविज्ञान में पढ़ाई के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। इनमें विशेष रूप से दिल्ली यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया इस्लामिया, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, क्राइस्ट यूनिवर्सिटी बैंगलोर, एनएफएसयू और आंबेडकर यूनिवर्सिटी दिल्ली का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। हालांकि इन यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए आपको प्रवेश परीक्षा पास करनी होती है।
मनोविज्ञान के क्षेत्र
मनोविज्ञान में मास्टर्स करने के बाद बतौर मनोवैज्ञानिक आपके लिए कई रास्ते खुल जाते हैं, जैसे क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, स्कूल साइकोलॉजिस्ट, इंडस्ट्रियल साइकोलॉजिस्ट फोरेंसिक साइकोलॉजिस्ट या फिर काउंसलर। इन सभी क्षेत्रों में साइकोलॉजिस्ट के साथ काउंसलर्स की भी काफी डिमांड होती है। हालांकि इनके अलावा आप चाहें तो साइकोलॉजी में वैकल्पिक रूप से भी अपना करियर बना सकती हैं, जो शिक्षा और रिसर्च पर आधारित होती है। फिलहाल ऊपर बताए गए करियर विकल्पों की बात करें, तो क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट बनने के लिए आपको क्लिनिकल साइकोलॉजी में एमफिल, पीडीसीपी या डॉक्टरेट ऑफ साइकोलॉजी करनी होगी। अपने नॉलेज, स्किल और प्रैक्टिकल नॉलेज के आधार पर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एक कुशल चिकित्सक की तरह होता है, जो मनोविकारों से जूंझ रहे व्यक्तियों, परिवारों या समूहों का सही मूल्यांक्ल करके उन्हें सही चिकित्सा प्रदान करता है।
प्रैक्टिकल नॉलेज से भरपूर है एमफिल

साइकोलॉजी में मास्टर्स के बाद किया जानेवाला एमफिल, प्रैक्टिकल नॉलेज से भरपूर होता है, जिसमें आपको 4 सेमेस्टर परीक्षा पास करनी होती है। इसे सफलतापूर्वक खत्म कर आप सरकारी अस्पतालों के साथ प्राइवेट संस्थानों या कोई भी क्लिनिकल प्रैक्टिस के साथ अपने करियर की शुरुआत कर सकती हैं। हालांकि क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट के रूप में अपना करियर बनाने के लिए आपको आरसीआई अप्रूव्ड इंस्टीट्यूट से वैध लाइसेंस प्राप्त करना होता है। हालांकि एमफिल, क्लिनिकल साइकोलॉजी में प्रवेश के लिए सारे इंस्टीट्यूशन की प्रक्रिया एक जैसी होती है। इन संस्थाओं में सीटों की संख्या लिमिटेड होती हैं, इसलिए एमसीक्यू प्रवेश परीक्षा के साथ आपको पर्सनल इंटरव्यू से गुजरना होता है। हालांकि पूरे देश में यूपीएस एजुकेशन, इस प्रवेश परीक्षा के प्रिपरेशन के लिए सबसे बेहतरीन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट है, जिससे प्रवेश प्रक्रिया आपके लिए आसान बन जाए।
उपचार के लिए थेरेपी और आयोजन हैं बेहद जरूरी
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट आम तौर पर कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी), साइकोडायनैमिक थेरेपी, ह्यूमनिस्टिक थेरेपी, डाइलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी (डीबीटी) और कई अन्य प्रकार के थेरेपी का उपयोग करते हुए अपने यहां इलाज के लिए आए शादीशुदा जोड़ों, पारिवारिक सदस्यों, समूहों या एक व्यक्ति की साइकोलॉजिकल समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करते हैं। कई बार अपने यहां आए पेशेंट का मूल्यांकन करते हुए उनके इलाज के लिए वे कुछ नई तकनीकों का भी इस्तेमाल करते हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें अपने मरीजों का सहयोग सबसे ज्यादा जरूरी होता है। हालांकि कई बार मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने या उससे जुंझ रहे लोगों के कल्याण के लिए क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, वर्कशॉप, सेमिनार और शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन भी करते हैं, जिससे उनके साथ अन्य लोग भी मेंटल हेल्थ के प्रति जागरूक हो सकें।
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट के साथ काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट भी
हालांकि क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट के अलावा काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट काफी लोकप्रिय और चुनिंदा करियर विकल्पों में से एक है, क्योंकि काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट जीवन की चुनौतियों से अपना रास्ता खोजने में काफी मदद करता है। विशेष रूप से भारत देश में, जहां सामाजिक दबाव के साथ परिवार के बदलते स्वरूप और व्यक्तिगत जीवन के सपने, चुनौतियां बन जाती है, वहां इसकी बहुत जरूरत है। फिलहाल काउंसलर बनने के लिए आपको सबसे पहले साइकोलॉजी या काउंसलिंग में मास्टर डिग्री करनी होगी। उसके बाद कुछ इंटर्नशिप के जरिए आपको अनुभव हासिल करने होंगे। हालांकि इस क्षेत्र में कुछ पीजी डिप्लोमा हैं, जो आपको इसकी अतिरिक्त जानकारियां दे सकते हैं। काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट या यूं कहें काउंसलिंग करियर के अंतर्गत लोगों के व्यक्तिगत और भावनात्मक विकास में सहायता के लिए कई तरह के काउंसलिंग करियर विकल्प मौजूद हैं।
काउंसलिंग करियर के हैं कई प्रकार

काउंसिलिंग करियर के अंतर्गत जनरल काउंसलिंग, रिलेशनशिप काउंसलिंग, करियर काउंसलिंग, स्कूल काउंसलिंग, एडिक्शन (नशा) काउंसलिंग या ग्रिफ (दुःख) काउंसलिंग जैसे कई करियर विकल्प मौजूद हैं। इनमें जनरल काउंसलिंग के अंतर्गत उन मुद्दों का समावेश होता है, जिनका सामना लोग आम तौर पर अपने जीवन में करते रहते हैं। आपके सहानुभूतिपूर्ण चिकित्सकीय मार्गदर्शन से वे जीवन की तमाम चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो जाते हैं। मानवीय रिश्तों की जटिलताओं को दूर करके उन्हें सफल बनाने में रिलेशनशिप काउंसलिंग की बहुत बड़ी भूमिका होती है, जो आम तौर पर शादीशुदा जोड़ों के मधुर संबंधों की नींव रखते हैं। बातचीत के जरिए उनके विवादों को सुलझाने के साथ उन्हें समझाने और उनके प्यार को फिर से जिंदा करने में रिलेशनशिप काउंसलिंग माहिर होते हैं। करियर काउंसलर आपकी पसंद, क्षमताओं और लक्ष्यों का आकलन करते हुए, आपको आपके अनुरूप बेहतर करियर विकल्प बताते हैं।
स्कूल काउंसलर और ग्रिफ काउंसलर
स्कूल काउंसलर आम तौर पर शैक्षणिक संस्थाओं या स्कूलों से जुड़े होते हैं और स्टूडेंट्स की शैक्षणिक, सामाजिक और भावनात्मक चुनौतियों का सामाधान करते हुए, उन्हें शिक्षा का अनुकूल माहौल देते हैं। इसके अलावा एडिक्शन काउंसलर, नशे से जूंझ रहे व्यक्तियों की काउंसलिंग कर उनकी सहायत करते हैं। वे उन्हें नशे से दूर रहने के लिए न सिर्फ सुविधाएं प्रदान करते हैं, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित भी करते हैं। अतीत में गुजरे कुछ दुःखद घटनाओं से जूंझ रहे लोगों को उस दुःख से निकालने या कुछ हद तक उस दुःख को भुलाने में ग्रिफ काउंसलर बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। दुःख के जटिल क्षणों से निपटने के लिए वे उपचार स्वरूप कभी सांत्वनाएं, तो कभी काउंसलिंग का सहारा लेते हैं। अगर यह कहें तो गलत नहीं होगा कि आम तौर पर काउंसलर, आपको अंधेरे क्षणों में रास्ता खोजने के साथ मुश्किल परिस्थितियों में हंसने का हौंसला भी देते हैं। ऐसे में साइकोलॉजिस्ट को आप करियर के साथ मानव सेवा का विकल्प भी समझ सकती हैं।
साइकोलॉजी में पीएचडी है अगला कदम
साइकोलॉजिस्ट के तौर पर अपना करियर शुरू करने के साथ आप मानव मस्तिष्क की जटिलताओं और उसके व्यवहार से अवगत होती हैं। हालांकि इसमें आप साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर के अलावा किसी यूनिवर्सिटी, कॉलेज या रिसर्च इंस्टिट्यूट में रिसर्चर या फैकल्टी मेंबर भी बन सकती हैं, जो मौजूदा समझ को और निखारती है। सच पूछिए तो यह यात्रा आपको विचारों के एक ऐसे महासागर में जाने का अवसर देती है, जिनसे आप अब तक अनजान थीं। इसे आप एक अभूतपूर्व अंतर्दृष्टि भी कह सकती हैं, जो किसी के भी मन-मस्तिष्क में उतरकर वहां का सारा हाल जान लेती है। गौरतलब है कि साइकोलॉजिस्ट के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए आपको नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की तरफ से होनेवाली यूजीसी नेट जेआरएफ साइकोलॉजी परीक्षा पास करनी होती है। यह परीक्षा साल में दो बार जून और दिसंबर में आयोजित की जाती है, जिसमें शामिल होने के लिए आपका साइकोलॉजी में मास्टर डिग्री होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा साइकोलॉजी में पीएचडी करके आप सम्मानित प्रोफेसर या रिसर्चर भी बन सकती हैं। हालांकि आप क्या बनना चाहेंगी ये पूरी तरह आपकी पसंद पर निर्भर करता है।
मनोविज्ञान में अन्य करियर विकल्प

ऊपर बताए इन करियर विकल्पों के अलावा भारत में फॉरेंसिक, स्पोर्ट्स और इंडस्ट्रियल साइकोलॉजिस्ट की भी काफी डिमांड है। फॉरेंसिक साइकोलॉजिस्ट, सरकार की कानूनी और आपराधिक न्याय प्रणाली में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विशेष रूप से कानूनी मामलों में शामिल व्यक्तियों को समझने और उनका विश्लेषण करने के लिए उनकी आवश्यकता होती है। फॉरेंसिक साइकोलॉजिस्ट आम तौर पर कानून एजेंसियों, अदालतों और सुधारघरों के साथ काम करते हैं। इसके अलावा एथलीटों की मेंटल और इमोशनल हेल्थ के मद्देनजर उनके प्रदर्शन को सुधारने, तनाव को कम करने और मेंटल स्ट्रेस को दूर करते हुए उन्हें उनका टारगेट अचीव करने में स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। फिलहाल भारत में जिस तरह स्पोर्ट्स के प्रति लोगों की दीवानगी बढ़ती जा रही है, ऐसे में स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट बेहद जरूरी होते जा रहे हैं। भारत में तेजी से विकसित होते जा रहे कॉर्पोरेट वर्ल्ड में हेल्दी और प्रोडक्टिव वर्कप्लेस के लिए इंडस्ट्रियल साइकोलॉजिस्ट बेहद जरूरी हो चुके हैं। ऐसे में आप साइकोलॉजी के इन करियर विकल्पों पर भी गौर कर सकती हैं।