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‘कैंसर से डरना नहीं है’, जानिए कैसे ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर बनीं प्रेरणा

टीम Her Circle |  फ़रवरी 28, 2024

शरीर में कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने पर कैंसर बीमारी होती है और इसी का एक और स्तन कैंसर यानी कि ब्रेस्ट कैंसर भी है। कैंसर को खतरनाक बीमारी का नाम दिया गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि किसी को एक बार कैंसर हुआ, तो उसे जीवन नहीं मिल सकता है। आपको बता दें कि कई महिलाएं स्तन कैंसर के लिए उदाहरण बन कर आयी हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि कैसे इन सभी महिलाओं ने अपने हौसले और हिम्मत के साथ विश्वास की डोर थामकर यह बताया है कि संयम रखकर भी कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को मात दी जा सकती हैं।

कैंसर तभी डरावना होगा जब आप डरेंगे

64 साल की पूर्व एंकर ज्योति पधारे को साल 2021 में इसकी जानकारी मिली कि उनके बाएं स्तन में एक गांठ है। ज्योति ने इस पर अपनी बेटी से बातचीत की। अस्पताल में जाने के बाद टेस्ट और बायोप्सी में ज्ञात हुआ है कि उन्हें स्टेज 2 का स्तन कैंसर है। ज्योति का परिवार घबरा गया। लेकिन उन्हें अपनी बीमारी की वास्तविकता को स्वीकार किया। उन्होंने तुरंत इसका उपचार कराया और सर्जरी के बाद उनके बाएं स्तन को शरीर से अलग कर दिया गया। ज्योति ने खुद से यह कहा कि कैंसर को मैंने स्वीकार किया और मैं इससे जंग जीत कर आगे बढ़ गयी। ज्योति का मानना है कि कैंसर तभी डरावना होगा जब आप डरेंगे। 

कैंसर से पीड़ित लोगों की बनीं प्रेरणा

रुचिका बघाड़िया ने अपनी मां को स्तन कैंसर के कारण खो दिया। अपनी मां की बीमारी से रूचिका डर गई थीं और लगातार वह अपनी जांच करती रहती थीं। साल 2016 में रुचिता को ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित होने के बारे में जानकारी मिली। रुचिका को कैंसर जेनेटिक बीमारी के कारण हुआ। इलाज के दौरान रुचिका के दोनों ब्रेस्ट निकाल दिए गए। रुचिका ने अपने इस कैंसर के सफर का पूरी हिम्मत के साथ सामना किया। रुचिका ने यह स्वीकार किया कि किसी भी महिला के लिए ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक तौर पर भी घातक बीमारी है। इसके बाद रुचिका ने फैसला लिया कि वह ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित लोगों को प्रेरित करेंगी और बीमारी से लड़ने की हिम्मत देंगी। 

कैंसर मशीन को बनाया दोस्त 

मंजू कत्याल का भी ब्रेस्ट कैंसर से लड़ने का सफर प्रेरणादायक रहा है। शरीर में कुछ दिक्कत के बाद मंजू को पता चला कि उन्हें स्टेज 4 का ब्रेस्ट कैंसर है। मंजू का पूरा परिवार डरा हुआ था, लेकिन उन्होंने कैंसर को पॉजिटिव तरीके से लिया और इसका सामना करने का प्रण लिया। लगातार कीमोथेरपी और रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी के बाद मंजू ने ब्रेस्ट कैंसर पर विजय प्राप्त कर ली। मंजू ने कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीन को अपने जीवन का करीबी दोस्त माना और जंग जीत गयीं। मंजू का मानना है कि कैंसर से, पीड़ित व्यक्ति को उसके परिवार को सकारात्मक तरीके से इस बीमारी का इलाज करवाना चाहिए। सकारात्मकता के रास्ते ही किसी भी प्रकार के कैंसर से जंग जीती जा सकती है। 

जानें ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े लक्षण

सबसे पहले ब्रेस्ट में होने वाले दर्द को नजरअंदाज न करें। इसकी जांच करवाएं। किसी भी तरह की दवा खाने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें। ब्रा की खराब फीटिंग को बदलें। ब्रेस्ट की गांठ में दर्द होना भी कैंसर का लक्षण है। गांठ के अलावा अगर ब्रेस्ट में किसी तरह का बदलाव दिखाई देता है, तो यह भी ब्रेस्ट कैंसर का संकेत होता है। स्तन का शेप असामान्य दिखने के साथ त्वचा पर बैंगनी या फिर गाढ़े रंग का धब्बा दिखाई देना भी ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकता है।

 

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