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प्रेरणा

पीरियड से लड़कियां नहीं करेंगी कोई शर्मिंदगी महसूस, इस अभियान से दूर होंगे सारे मिथ

टीम हर सर्कल |  अगस्त 21, 2022

सामाजिक संगठन चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राय) ने एक अखिल भारतीय अभियान '#लेट्स टॉक अबाउट इट! पिरीयड!' 76वें स्वतंत्रता दिवस के दिन लॉन्च किया। यह अभियान पीरियड से जुड़ीं वर्जनाओं को दूर करने और लड़कियों को पीरियड के बारे में  बेहतर ढंग से समझने में मदद करने का प्रयास करता है, ताकि वे रक्तस्राव  से शर्मिंदा महसूस न करें, जो कि एक प्राकृतिक शारीरिक घटना है। यह अभियान अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस (11 अक्टूबर) तक चलेगा।

अ क्राई द्वारा एक स्टेटमेंट के अनुसार भारत सरकार के मौजूदा आंकड़ों पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि आधे से अधिक (52 प्रतिशत) लड़कियां, पीरियड से तब तक अनजान हैं, जब तक उनके पीरियड शुरू न हो जाएं और 15-19 वर्ष के बीच हर चार लड़कियों में से एक को पीरियड के दौरान सही स्वच्छता रखनी नहीं आती हैं।

अभियान के उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताते हुए, पूजा मारवाह,  जो कि क्राई की सीआरओ,  उन्होंने कहा, “इस पहल के माध्यम से, हमारा उद्देश्य लड़कियों को शर्म और शर्मिंदगी को भड़काने वाले विषय के बजाय, सामान्य शारीरिक क्रिया के रूप में पीरियड के बारे में खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित करना है; पीरियड से संबंधित मिथ और वर्जनाओं को संबोधित करना और तथ्यों पर प्रकाश डालना है।”

 क्राई ने कहा कि तीन महीने तक चलने वाले इस अभियान का पहला ग्रूप 10-17 वर्ष के आयु वर्ग की लड़कियां हैं, इसके बाद यंग लड़के, परिवार के सदस्य और समुदाय के सदस्य शामिल हैं। अभियान के हिस्से के रूप में, क्राई अपने क्षेत्रों के में ही लड़कियों के बीच एक सर्वे करेगा, ताकि पीरियड और स्वच्छता के प्रबंधन के बारे में उनकी समझ, ज्ञान, दृष्टिकोण और अभ्यास के स्तर का आकलन किया जा सके और मिथ, गलत धारणाओं को दूर किया जा सके। पीरियड के दौरान लड़कियों द्वारा यह सर्वे आठ राज्यों, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों मे किया जाएगा। अभियान का उद्देश्य हर तरह से पीरियड से जुड़े सही ज्ञान और तथ्यों को फैलाना है, जिसमें सोशल मीडिया और ऑफलाइन प्लेटफॉर्म भी शामिल है। इसमें हर तरह के मिथ को उजागर करना और उन चैंपियनों का जश्न मनाना है जो पीरियड्स से संबंधित मिथ और सामाजिक वर्जनाओं को दूर करने के लिए लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं।

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