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सुप्रीम कोर्ट ने सेना से मांगा जवाब, पूछा महिलाओं की पदोन्नति को लेकर पक्षपात क्यों

टीम Her Circle |  नवंबर 22, 2022

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2020 में शीर्ष अदालत के निर्देश पर स्थायी कमीशन दिए जाने के बाद पदोन्नति में देरी का आरोप लगाने वाली सेना की 34 महिला अधिकारियों की याचिका पर सोमवार को केंद्र से दो सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। 

जी हां, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि हम चाहते हैं कि इन सभी महिलाओं को वरिष्ठता मिले। उनकी यह प्रतिक्रिया मुख्य कारण से आई है। दरअसल, याचिका कर्नल (टीएस) सहित 34 महिला आवेदकों द्वारा दायर की गई थी। प्रियंवदा ए मर्डीकर और कर्नल (टीएस) आशा काले, जो स्थायी कमीशन वाली महिला अधिकारी हैं, इन्होंने दो महीने पहले बुलाई गई एक विशेष चयन बोर्ड के रूप में भेदभाव का आरोप लगाया था, उनका आरोप था कि कथित तौर पर पुरुष अधिकारियों को पदोन्नति के लिए इन महिला अधिकारियों से बहुत जूनियर माना जाता था।

वरिष्ठ अधिवक्ता वी मोहना के माध्यम से जो बात सामने आई है कि वर्ष 2020 और वर्ष 2021 में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के ऐतिहासिक फैसलों का हवाला देते हुए, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि महिला अधिकारियों को "गलत तरीके से अध्ययन अवकाश और प्रतिनियुक्ति से वंचित किया जा रहा है।  उन्हें अभी भी व्यवस्थित, अप्रत्यक्ष और लैंगिक भेदभाव के अधीन किया जा रहा है"।

मोहना ने कहा कि सेना के अधिकारियों ने एससी के 25 मार्च, 2021 के फैसले के अनुसार घोषणा की थी कि इन महिला अधिकारियों के लिए एक विशेष चयन बोर्ड आयोजित किया जाएगा और 1992 और 2007 के बीच वरिष्ठता रखने वालों को उनकी पात्रता के आधार पर पदोन्नति के लिए विचार किया जाएगा। 

हालांकि, आज तक ऐसा कोई चयन बोर्ड आयोजित नहीं किया गया है, भले ही ऐसे दो बोर्ड पुरुष अधिकारियों को बढ़ावा देने के लिए किए गए हों, मोहना ने कुछ इस तरह से शिकायत दर्ज की। 

अदालत ने इस बारे में सेना की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालासुब्रमण्यन से पूछा, "आप पुरुष अधिकारियों के लिए चयन बोर्ड क्यों लगा रहे हैं, महिलाओं के लिए नहीं।"

इस पर बालासुब्रमण्यन ने कहा कि 150 अतिरिक्त पदों के लिए महिला अधिकारियों के लिए एक विशेष चयन बोर्ड बुलाया जाएगा, जो केंद्रीय वित्त मंत्रालय से अनुमोदन के अंतिम चरण में थे। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि सुनवाई की अगली तारीख तक कोई आदेश पारित न किया जाए, महिला आवेदकों की शिकायत का समाधान हो जाएगा।






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