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प्रेरणा

रुचिरा कंबोज बनीं संयुक्त राष्ट्र में भारत की पहली महिला राजदूत

टीम हर सर्कल |  अगस्त 04, 2022

भारत की हर उस एक महिला के लिए यह गौरव का क्षण है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में भारत की नयी स्थायी प्रतिनिधि के रूप में राजदूत रुचिरा कम्बोज ने जिम्मेदारी संभाली है। और सोशल मीडिया के जरिये अपनी खुशी शेयर की है कि  ‘सभी लड़कियों के लिए, हम चाहें तो सबकुछ कर सकते हैं। वाकई, रुचिरा हर एक महिला के लिए मिसाल हैं, जो अपने लिए नयी उड़ान भरना चाहती है और सपनों को नया आकाश देना चाहती हैं। उनकी यह कामयाबी सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि हर उस भारतीय महिला के लिए है, जो कुछ कर गुजरने की चाहत रखती हैं। 

खास बात यह है कि वह संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत की पहली महिला दूत हैं।  58 वर्ष की उम्र में रुचिरा ने जो कमाल कर दिखाया है, वह अपने आप में एक बड़ा कीर्तिमान बन चुकी हैं। रुचिरा ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो के सामने अपना परिचय पत्र प्रस्तुत किया। यह दर्शाता है कि अगर एक महिला ठान लें, तो वह क्या नहीं कर सकतीं। 

दिलचस्प बात यह है कि रुचिरा का यहां तक पहुंचने का सफर काफी रोचक रहा है। रुचिरा, जहां 1987 बैच की भारतीय विदेश सेवा( आईएएस ) अधिकारी रही हैं।  वहीं, इन्होंने भूटान में भारत की राजदूत और दक्षिण अफ्रीका में भारत की उच्चायुक्त के रूप में सेवाएं दी हैं। और उन्हें जून में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत की स्थायी प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया था। ऐसे में उन्होंने राजदूत टीएस तिरुमूर्ति की जगह ली।  

बता दें कि रुचिरा 1987 में हुए सिविल सेवा की ऑल इंडिया महिला टॉपर रही हैं, साथ ही वह उस वर्ष विदेश सेवा बैच की भी टॉपर रही हैं। उन्होंने पेरिस में अपनी राजनयिक यात्रा की शुरुआत कर दी थी, जहां उन्हें 1989 -1991 तक फ्रांस में भारतीय दूतावास में तीसरे सचिव के रूप में नियुक्त किया गया।  फिर उन्होंने 1991 से लेकर 1996 तक विदेश मंत्रालय के यूरोप वेस्ट डिवीजन में अवर सचिव के रूप में भी काम किया।  1996 -1999 तक, उन्होंने मॉरीशस में प्रथम सचिव और पोर्ट लुइस में भी भरतीय उच्चायोग में चांसरी के प्रमुख के रूप में काम किया। खास बात यह भी है कि वह भारत की राजदूत/ स्थायी प्रतिनिधि के रूप में भी काम कर चुकी हैं।  

निश्चित तौर पर रुचिरा अपनी सूझ-बूझ और बुद्धिमता से अपनी इस नयी जिम्मेदारी को पूरा करेंगी और पूरे भारत का नाम रौशन करेंगी। ऐसी मिसालें, महिलाओं के लिए वाकई में, प्रेरणा का स्रोत बनती हैं और ऊर्जा लेकर आती है। आने वाले समय में  महिलाएं ऐसे ही और कीर्तिमान भारत के नाम करती रहेंगी। हमें पूरा यकीन है।

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