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प्रेरणा

ओणम पर 'चूलपुक्कलम' विजुअली चैलेंज्ड महिलाओं की कल्पना को दे रहा है नया आकाश

टीम Her Circle |  सितंबर 08, 2022

उनके  हाथों में कमाल का जादू है, जो जब भी उठते हैं, एक बेहतरीन कलाकारी करते ही हैं। फिर कौन क्या कहता है, इस बात से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्हें बार-बार प्रयास करने से कोई भी गुरेज नहीं है। मुमकिन है कि शुरू में उनके हाथ थोड़े थड़थड़ाये, लेकिन हौसला है, तो फिर फासला क्या है, उनकी कोशिश मुकम्मल हो ही जाती है और वह बड़े ही प्यार से कुछ नया रच देती हैं। 

जी हां, हम बात कर रहे हैं केरल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड रिहैबिलिटेशन सेंटर फॉर वीमेन की उन 15 हुनरमंद महिलाओं की, जो लगातार अपनी रचनाशीलता से हैरान करती हैं। लक्ष्मी मेनन, जो कि एक सोशल एन्थ्रेप्रेनर हैं, वह बताती हैं कि महिलाओं को छूलाला या डिजाइनर झाड़ू बनाने के लिए फ्रेम तैयार करने में लगभग एक दिन लग जाता है। लक्ष्मी प्योर लिविंग की फाउंडर हैं, जो कि  महिलाओं के लिए स्थाई तरीकों से जीविका के माध्यम और समाधान ढूंढ़ने में मदद करता है। लक्ष्मी बताती हैं कि महिलाएं काफी शिद्द्त से झाड़ू बनाती हैं, वह अपने दिमाग का इस्तेमाल करती हैं और फिर सही तरीके से फ्रेम बना कर, उसमें ताड़ का पत्ता जोड़ती हैं, इसके बाद स्टिक्स लगाती हैं और इस काम में वह पूरी मेहनत करती हैं। 

बता दें कि ये महिलाएं एर्नाकुलम में पोथनिकड चथमट्टम रोड पर संगठन के छात्रावास में रहती हैं।

लक्ष्मी का कहना है कि पहले महिलाएं लकड़ी की कुर्सियों में प्लास्टिक टेप बुनती थीं, जिसमें काफी मेहनत लगती थी और इसे पूरा करने में लगभग तीन से चार दिन लगते थे, लेकिन अब इस तरीके से वे बेहद आसानी से काम कर लेती हैं और उनकी उंगलियों को भी आराम मिलता है। वे एक दिन में 15 से 20 पीस तक झाड़ू बना देती हैं। 

लक्ष्मी का मानना है कि भले ही उनके बनाये उत्पाद में एकदम परफेक्शन नजर न आये, लेकिन यही उनके काम की खूबसूरती भी है और इसकी सराहना की जानी ही चाहिए। अम्मूमथिरी (दादी द्वारा बनाई गई बत्ती ) और चीकू गुड़िया जैसे नवीन उत्पाद  बनाने में अहम भूमिका निभाई है।

खास बात यह भी है कि यह झाडू विभिन्न आकारों में आती हैं और ओणम पर 'चूलपुक्कलम' बनाने के लिए इस्तेमाल की जाएंगी। चूलाला नाम का मतलब काफी मजेदार है, यह शब्द दरवाजे के पीछे छुपी हुई किसी वस्तु के बारे में बात।  छोला शब्द चुल पर एक नाटक है, जिसका मलयालम में अर्थ होता है झाड़ू और एक प्रसिद्ध फिल्म का गीत ओ लाला, इन सबके मिश्रण से यह नाम बना है। 

लक्ष्मी आगे बताती हैं कि वह इन महिलाओं के बनाये गए इन झाड़ू को एक कलात्मक झाड़ू की श्रेणी में शामिल करने की कोशिशों में जुटे हैं। यह न केवल ब्लाइंड बहनों द्वारा किये गए काम की सराहना होगी, बल्कि इससे उनके जीवन में भी रंग आएंगे। इसकी खासियत यह भी होगी कि इसकी कीमत 499 रुपये रखी जाएगी और इसका लोगो ब्रेल वर्जन में भी होगा और इसे ऑनलाइन रिटेल किया जायेगा।

 

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