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मुद्रास्फीति पुरुषों की तुलना में महिलाओं को करती है अधिक प्रभावित, कुछ ठोस प्रयासों से मिल सकती है मदद :रिपोर्ट

टीम Her Circle |  अक्टूबर 20, 2022

पूरे विश्व में हम तीव्र मुद्रास्फीति संकट का सामना कर रहे हैं। ऐसे में अगर नवीनतम आर्थिक दृष्टिकोण रिपोर्ट पर नजर डालें, तो उसमें कहा गया है कि आईएमएफ ने वैश्विक मुद्रास्फीति को 2022 में रिकॉर्ड 8.8 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान लगाया है और इनके कारणों की बात करें तो महामारी संबंधी व्यवधानों और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण इसके कारण बताये गए हैं । मुद्रास्फीति के इस तरह के उच्च स्तर ने वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को बढ़ा दिया है। और इसलिए लोगों की जेब  का ध्यान रखने के लिए इस जीवन-मूल्य के संकट का मुकाबला करना अत्यावश्यक है।

चूंकि यह वैश्विक मुद्रास्फीति संकट सभी को प्रभावित करता है, लेकिन महिलाएं और लड़कियां इससे असमान रूप से प्रभावित होती हैं। रिपोर्ट पर गौर करें, तो पिछले दो वर्षों में, महिलाओं के लिए उत्पादों की कीमतें पुरुषों की तुलना में और भी तेजी से बढ़ी हैं। उदाहरण के लिए, ब्रिटेन में, महिलाओं के औपचारिक जूतों की कीमत में वर्ष 2021 में 75% की वृद्धि देखी गई है, जबकि पुरुषों के लिए केवल 14% की वृद्धि हुई है।

दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में इलेक्ट्रिक रेजर, टी-शर्ट, जींस और यहां तक ​​​​कि हेयरकट लेने के चार्ज के मामले में भी यही असमानता दिखाई देती है। मुद्रास्फीति संकट शुरू होने से पहले, दुनिया भर में पुरुषों की तुलना में महिलाएं पहले से ही आर्थिक रूप से कम संपन्न थीं। और अब यह संकट महिलाओं के लिए लिंग वेतन के अंतर को बंद करने पर सामाजिक प्रगति को उजागर करने की भी चेतावनी देता है। ऐसे में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को वर्ष 2022 में मुद्रास्फीति की दर से अधिक दर से वेतन वृद्धि प्राप्त होने की संभावना कम है। बता दें कि अमेरिका में, हाल ही में एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में पाया गया कि महिलाओं महिलाओं की तुलना में 33.3% अधिक है और उनका वेतन मुद्रास्फीति के साथ तालमेल रखता है। इसी तरह, यूके में मुद्रास्फीति का अनुमान महिलाओं और पुरुषों के बीच मौजूदा लिंग वेतन अंतर को बढ़ाने के लिए है। सो, यह जरूरी है कि नागरिक समाज संगठनों द्वारा ठोस कदम उठाये जाएं।

तो महिलाओं को अधिक सहायता प्रदान करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की आवश्यकता है और यह कैसे की जा सकती है, इसके लिए कुछ उपाय सुझाये गए हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण तो यही है कि महिलाओं के लिए सामजिक जागरूकता फैलाने वाला एक सही मंच या माध्यम होना चाहिए। इसके लिए अगर नागरिक समाज संगठन महिलाओं के उत्पादों पर बढ़ते मुद्रास्फीति प्रभाव के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए समन्वित अभियान शुरू करें तो काफी अच्छा होता, क्योंकि एक प्रभावीशाली अभियान की अगर शुरुआत की जाए, तो दो तरह के नागरिक समाज संगठनों के बीच समन्वय शामिल होगा। एक तो अनुसंधान संस्थान और एडवोकेसी ग्रुप। शोध-केंद्रित नागरिक समाज समूह की बात करें तो जैसे कि थिंक टैंक, प्रमुख मुद्दों पर डेटा-संचालित विश्लेषण प्रदान कर सकते हैं, इस जीवन-मूल्य के संकट के दौरान लिंग समानता पर जनता और नीति निर्माताओं को सलाह दे सकते हैं। एडवोकेसी ग्रुप संगठनों की बात करें तो महिलाओं की समानता और सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने पर विशेषज्ञ सलाह को बढ़ाने में मदद करने के लिए विश्वसनीय अनुसंधान संस्थानों के साथ सक्रिय रूप से भागीदारी की तलाश करनी चाहिए।

इसके अलावा, बच्चों के पालन-पोषण को लेकर भी कुछ ठोस कदम या पहल की जा सकती है, जैसे बच्चों का पालन पोषण करने वाले जिम्मेदारियों से भरे लोग विशेष रूप से गंभीर जीवन-यापन संकट का सामना कर रहे हैं। उनमें से, सिंगल पेरेंट के लिए आर्थिक मंदी के दौरान गरीबी में गिरने की संभावना काफी अधिक है, जैसा कि कोविड 19 महामारी के दौरान दिखाया गया है। बता दें कि  उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया के कई देशों में महिलाएं ज्यादातर सिंगल पेरेंट हैं, और अमेरिका में लगभग 80 प्रतिशत सिंगल पेरेंट्स वाले परिवारों का नेतृत्व महिलाओं द्वारा किया जाता है।

 

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