img
हेल्प
settings about us
  • follow us
  • follow us
write to us:
Hercircle.in@ril.com
terms of use | privacy policy � 2021 herCircle

  • होम
  • कनेक्ट
  • एक्स्क्लूसिव
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प

search

search
all
communities
people
articles
videos
experts
courses
masterclasses
DIY
Job
notifications
img
Priority notifications
view more notifications
ArticleImage
प्रेरणा

गणेश उत्सव के बहाने महिला सशक्तिकरण, सामाजिक जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण की हो रही है पहल

टीम Her Circle |  अगस्त 31, 2022

भारत के कई हिस्से में अपने-अपने अंदाज में गणेशोत्सव की धूम है। विघ्नहर्ता गणेश को अपने-अपने अंदाज में हर कोई पूज रहा है, पूरे माहौल में गणपति बप्पा मोरया की गूंज है।  ऐसे में कई उदाहरण सामने आये हैं, जिन्होंने गणपति उत्सव के बहाने एक मिसाल तय की है। कुछ लोगों ने इको -फ्रेंडली गणेश घर में लाकर, भगवान के पूजन और भक्ति के साथ पृथ्वी को प्रदूषित होने से भी बचाया है, तो कुछ ने इसी माध्यम से खुद को आत्म-निर्भर भी बनाया है और साबित किया है कि पूजन का मतलब एक सामजिक सरोकार और जिम्मेदारी भी होती है। खासतौर से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किस तरह से हर्षोउल्लास और जिम्मेदारी के साथ इस पर्व को मनाया जा रहा है, एक नजर में आइए देखें। 

सामजिक जागरूकता फैलाने एक अच्छी पहल 

महाराष्ट्र के सोल्हापुर जिले से संबंध रखने वाले सामजिक कार्यकर्ता प्रमोद झिनहाड़े जैसे लोगों की सार्थक पहल गणेशोत्सव में भी नजर आ रही है। जिस तरह से वह इस पूजन के दौरान सामजिक जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, वह सराहनीय पहल है। उन्होंने महाराष्ट्र के कई पूजा पंडालों में इन दस दिनों में कुप्रथा जैसे विधवाओं को लेकर समाज की सोच बदलने की अपील कर रहे हैं और इसे लेकर वह लगातार कैंपेन चला रहे हैं। प्रमोद, जो लगातार विधवा प्रथा को लेकर महिलाओं की हक की बात कर रहे हैं, उनका कहना है कि गणेश मंडलों में इस तरह के कार्यक्रम करवाए जाने चाहिए, ताकि आप लोगों के बीच इस कुप्रथा को आगे न बढ़ाने का चलन शुरू हो, यह एक सामजिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि उन्होंने व्हाटस अप ग्रुप, जिसमें गांव के सरपंज या मुखिया शामिल हैं, उन सभी से इस बात को लेकर अपील की है।

प्रमोद इस बात को लेकर भी मुहिम चला रहे हैं कि पति की मौत के बाद, जब महिलाओं की मांग से सिंदूर मिटाने और चूड़ियों को तोड़ने की प्रथा होती है। पैरों से बिछिया निकालने जैसी चीजें होती हैं, ऐसी कुप्रथा को पूरी तरह से हटाया जाये। यहां बता दें कि महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले का हेरवाड़ ऐसा पहला गांव बना, जहां विधवाओं को लेकर होने वाली कुप्रथा पर प्रतिबंध लगाया गया और कई ग्राम सभाओं को भी ऐसा करने से रोका गया है। गणेशोत्सव में इससे अच्छी सोच वाली खबर कुछ और हो ही नहीं सकती है।

हैंडमेड इको फ्रेंडली गणेश बनाने का चलन है जोरों पर

पिछले कई सालों से लगातार इको-फ्रेंडली गणेश को गणेशोत्सव के दौरान घर लाने के लिए लोग जागरूक हुए हैं। खास बात यह है कि इस साल लोगों में न सिर्फ इको-फ्रेंडली गणेश की मूर्ति खरीदने की सोच बढ़ी है, बल्कि लोगों ने खुद से भी इसे तैयार करने में दिलचस्पी दिखाई है। मध्य प्रदेश के इंदौर में गणेश चतुर्थी के उपलक्ष्य में इस साल गजब का जोश दिखाया है और काफी बड़े स्तर पर लोगों ने इस बात पर जोर दिया है कि वे घर पर ही इको-फ्रेंडली गणेश बनायेगे। खास बात यह है कि ऐसी महिलाएं, जो आर्ट और क्राफ्ट में हमेशा ही माहिर रही हैं, उन्होंने इस मौके पर काफी अधिक हुनर दिखाया है और गणेश की मूर्तियां बनाई हैं। उन्होंने गाय के गोबर, प्राकृतिक कीचड़ और मिट्टी से मूर्तियां बनाई हैं और कई महिलाएं, बच्चों को ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। कई स्कूलों में भी बच्चों को हाथों से गणेश की मूर्ति बनानी सिखाई जा रही है। यहां खास बात यह भी है कि कई विदेशी भी इस तरह के वर्कशॉप का हिस्सा बनते हैं।  गौरतलब है कि इंदौर भारत के ऐसे स्थानों में से एक है, जो काफी साफ -सुथरा रहता है। ऐसे में ऐसी पहल भी पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए बड़ा ही कदम है।

दिव्यांग लड़कियों और बच्चों के लिए एक उम्मीद की रौशनी लेकर आया है गणेश उत्सव

महाराष्ट्र का स्वाधार केयर होम में दिव्यांग लड़कियों और बच्चों के बीच भी इको-फ्रेंडली गणेश बनाने की पहल की गई है। उन्हीं गणपति की मूर्तियां बनानी सिखाई गई है, ताकि वह इस बहाने, अपने अंदर छुपे कलाकार को बाहर ला सकें। और खास बात यह है कि उस्मानाबाद जिले में, लगभग 12 बच्चों और महिलाओं को गणेश की मूर्ति बनाने की कला में निपुण बनाया गया है। सभी ने मिल कर मिट्टी और कीचड़ से इसका निर्माण किया है। दिव्यांग लोगों के कीचड़ का इस्तेमाल कर मूर्ति बनाने का काम आसान नहीं रहा है।  खासतौर से पूरी बारीकी से मूर्ति को रूप देना, लेकिन फिर भी उन्होंने यह हिम्मत दिखाई है। हालांकि यहां से इन महिलाओं और बच्चों द्वारा 400 के लगभग में मूर्तियां बनती हैं, लेकिन लोगों के पास इसकी आधी संख्या ही पहुंचती है।

खंडवा में पर्यावरण प्रेमी मूर्तिकार की सार्थक पहल

पर्यावरण प्रेमी धर्मेंद्र ने स्कूल कॉलेज में छात्र-छात्राओं को मिट्टी का गणेश बना कर, लोगों को पर्यावरण से बचाने की मुहिम में जुटे रहे हैं। वह पिछले छह सालों से लोगों को मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं बनाना सीखा रहे हैं। और अब तक उन्होंने करीब 5 हजार लोगों को गणेश प्रतिमा बनाना सिखाया है। अच्छी बात यह है कि इनकी बनाई गई मूर्ति का विसर्जन घर में किया जा सकेगा। वाकई, ये छोटी लेकिन सार्थक पहल है।

पुणे के यरवदा सेंट्रल जेल में कैदियों ने मनाया गणेशोत्सव 

यह बेहद सराहनीय और खुशी देने वाली खबर है कि पुणे के यरवदा सेंट्रल जेल में कैदियों ने मनाया गणेशोत्सव।  जी हां, वहां के कैदियों ने इको-फ्रेंडली गणेश बना कर, अपनी भक्ति भगवान गणेश को दिखाई है। कैदियों के लिए भी इस पर्व को हर्षोउल्लास से जीने का मौका दिया जा रहा है, यह वाकई में अच्छी सोच है। इसका स्वागत किया जाना चाहिए।

 

 

शेयर करें
img
लिंक कॉपी किया!
edit
reply
होम
हेल्प
वीडियोज़
कनेक्ट
गोल्स
  • © herCircle

  • फॉलो अस
  • कनेक्ट
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प
  • हमें जानिए
  • सेटिंग्स
  • इस्तेमाल करने की शर्तें
  • प्राइवेसी पॉलिसी
  • कनेक्ट:
  • email हमें लिखें
    Hercircle.in@ril.com

  • वीमेंस कलेक्टिव

  • © 2020 her circle