img
हेल्प
settings about us
  • follow us
  • follow us
write to us:
Hercircle.in@ril.com
terms of use | privacy policy � 2021 herCircle

  • होम
  • कनेक्ट
  • एक्स्क्लूसिव
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प

search

search
all
communities
people
articles
videos
experts
courses
masterclasses
DIY
Job
notifications
img
Priority notifications
view more notifications
ArticleImage
प्रेरणा

एकल महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता की ज्योत जला रहा है रायगड़ा का एकल नारी संगठन

टीम Her Circle |  नवंबर 28, 2022

गेंदे के खूबसूरत फूल, हरी-ताजी सब्जियां, रायगड़ा की महिलाओं के लिए अब ये केवल सामान नहीं हैं और न ही केवल कृषि उपज हैं, बल्कि रायगड़ा की महिलाओं के लिए यह आजादी के रंग हैं,  जिन्होंने सामूहिक रूप से स्वतंत्रता पाने के लिए खुद के लिए एक नयी पहल की है। 

जी हां, अपने जीवन को खुद से आकार देने के लिए और खुद को सामाजिक बंधनों से मुक्त होने के लिए, 30 से अधिक विधवा महिलाओं के उत्थान के लिए , तलाकशुदा या अविवाहित महिलाओं ने यह 2019 में एकल नारी संगठन (एकल महिला सामूहिक) का गठन किया। यह एक लाभदायक व्यवसाय उद्यम के लिए शुरुआती सोच थी, जिसमें समय के साथ अधिक महिलाएं जुड़ती गयीं। 

अमूमन हमने देखा है कि पूरे भारत में पुरुषों के साथ खेतों में सहायक के रूप में काम करने वाली महिलाएं ही होती हैं। लेकिन इस तस्वीर को रायगड़ा के आदिवासी डेंगासरगी ​​गांव की महिलाएं, जो कुई भाषा में गीत गाती हैं, मुख्य निर्णय लेने वाली महिलाएं हैं, जो अपनी आजीविका कमाने के लिए खेती, बाजार और अपनी उपज बेचती हैं।

संगठन ने गेंदा के साथ-साथ करेला, बैंगन और गोभी जैसी सब्जियां उगाने के लिए तीन एकड़ जमीन से शुरुआत की। तब से तीन वर्षों में, खेती की जा रही भूमि 40 एकड़ हो गई है। महिलाओं के परिवारों के पास 0.5 एकड़ से 2 एकड़ के बीच की जमीन है, जिस पर वे फूल और सब्जियां उगाती हैं। फिर इसे बाजार में बेचा जाता है। बता दें कि फिर इससे कमाई गई राशि हर हफ्ते सीधे उनके बैंक खातों में जाती है।

इस बारे में संगठन से जुड़ीं अहम महिलाओं ने जानकारी दी कि उन्होंने पिछले साल 47 लाख रुपये का कारोबार किया था और इस मौसम में उन्होंने 76 लाख रुपये का कारोबार किया है। इसमें से प्रत्येक महिला किसान को 80,000-1.5 लाख रुपये के बीच लाभ मिलता है, जो उस भूमि के आकार पर निर्भर करता है, जिस पर वे खेती कर रहे हैं। फिलहाल यहां 98 महिलाएं हैं।

यहां उगाई जाने वाले गेंदे के फूल को ओड़िशा और आंध्र प्रदेश के विभिन्न मंदिरों में ले जाया जाता है और पारिवारिक कार्यों में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, कंपनी अब अन्य दक्षिणी राज्यों में अपने परिचालन का विस्तार करने की योजना बना रही है।

इन महिलाओं के लिए, कोंधा जनजाति की अधिकांश महिलाएं, जिन्होंने शादी नहीं की या नहीं कर पाई, तलाक ले लिया या विधवा हो गईं, उनके लिए यह काम वित्तीय स्वतंत्रता ने न केवल स्वायत्तता, बल्कि उनके परिवारों को भी और उन्हें खुद भी समाज में सम्मान दिलाया है। 

यहां से जुड़ीं महिलाओं ने यह भी कहा कि उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया, लेकिन जब पैसा आना शुरू हुआ, तो न केवल समाज में, बल्कि हमारे अपने परिवार में भी हमारी स्थिति बदल गई है। यहां की एक महिला, मोरपिंगिधि, जो 35 वर्षीय हैं, उन्होंने पैर में चोट लगने के कारण शादी नहीं की  और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें पढ़ने का मौका भी नहीं मिला। उसने अपना सारा जीवन एक खेत में काम किया, जहां  उन्होंने चावल और बाजरा उगाया, जो परिवार के लिए पर्याप्त था और बाजार में बेचने के लिए कुछ भी नहीं बचा था। ऐसे में उन्होंने अन्य महिलाओं के लिए मिल कर एक नयी शुरुआत की। और एकल नारी संगठन का जन्म हुआ।

*Image used is only for representation of the story

 

लिंक कॉपी किया!
edit
reply
होम
हेल्प
वीडियोज़
कनेक्ट
गोल्स
  • © 2025 herCircle

  • फॉलो अस
  • कनेक्ट
  • एन्गेज
  • ग्रो
  • गोल्स
  • हेल्प
  • हमें जानिए
  • सेटिंग्स
  • इस्तेमाल करने की शर्तें
  • प्राइवेसी पॉलिसी
  • कनेक्ट:
  • email हमें लिखें
    Hercircle.in@ril.com

  • वीमेंस कलेक्टिव

  • © 2020 her circle

शेयर करें
img