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शारीरिक गतिविधियों में बच्चों और टीनएजर्स की कम रुचि लेना, सेहत के लिए है खतरे की घंटी : अध्ययन

टीम Her Circle |  फ़रवरी 05, 2023

हम नौकरी और भागदौड़ में अपनी सेहत का ख्याल बिल्कुल नहीं रख पा रहे हैं और यह हमारे लिए खतरे की घंटी है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि केवल वयस्क और ऑफिस जाने वाले वयस्क ही नहीं, शारीरिक गतिविधियां कम करने में किशोर यानी टीन एजर्स और बच्चे भी पीछे नहीं रह रहे हैं। हाल ही में एक अध्ययन से यह बात सामने आई है और यह बात हैरान करने वाली है। जी हां, यह बात सामने आई है कि शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहना दुनिया भर में मृत्य का चौथा प्रमुख कारण है। इसकी वजह से कोई पुरानी बीमारी और विकलांगता जैसी परेशानी भी होती है। हाल के शोध का अनुमान है कि यदि लोग अधिक सक्रिय नहीं हुए तो वर्ष 2030 तक दुनिया में प्रमुख पुरानी बीमारियों के करीब आधे अरब नए मामले सामने आ सकते हैं। गौरतलब है कि नियमित रूप से अगर शारीरिक गतिविधि की जाए, तो कई पुरानी बीमारियों को रोकने और प्रबंधित करने में मदद करती है। यह बेहद जरूरी है कि रोजाना ही अपनी जीवनशैली में शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के लोकप्रिय तरीकों में पैदल चलना, साइकिल चलाना और खेलकूद शामिल किये जाएं। 

ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की तरफ से यह अहम निर्णय लिया गया है कि बच्चों और किशोरों (5-17 वर्ष) को प्रतिदिन औसतन कम से कम 60 मिनट तक कोई न कोई शारीरिक गतिविधि करनी ही चाहिए। 

गौरतलब है कि बच्चों को अपनी गतिविधि में एरोबिक गतिविधियों को भी शामिल करना चाहिए, साथ ही वैसे कसरत, जो मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करते हैं, सप्ताह में कम से कम तीन दिन उन्हें जरूर करना चाहिए। इसके अलावा, यह भी जरूरी है कि  बच्चे मनोरंजक स्क्रीन टाइम पर दिन में दो घंटे से अधिक समय न बिताएं।

दरअसल, कोविड 19 महामारी से पहले, बच्चों और किशोरों के बीच शारीरिक गतिविधि पहले से ही कम थी।  वर्ष 2016 में, दुनिया भर में जहां 11-17 आयु वर्ग के 81प्रतिशत किशोरों को शारीरिक रूप से निष्क्रिय माना गया था। लड़कियां लड़कों की तुलना में कम सक्रिय थीं। वहीं महामारी के बाद मामले और अधिक बिगड़ गए हैं।  ऐसे में बच्चों और किशोरों में शारीरिक निष्क्रियता वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता बन गई है। और इसलिए इसे अब वैश्विक कार्य योजनाओं में शामिल किया गया है।

उदाहरण के लिए, वर्ष 2016 को आधार माना जाए तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) यानी WHO ने शारीरिक गतिविधि पर अपनी वैश्विक कार्य योजना के माध्यम से वर्ष 2030 तक किशोरों में शारीरिक निष्क्रियता को घटाने के लिए 15 प्रतिशत को मान्य रखा है। 

90 प्रतिशत विशेषज्ञों का साफ मानना है कि जब सर्वेक्षण किया गया, तो बच्चों में कोविड के बाद की स्थिति काफी बुरी हुई है, उन्होंने स्क्रीन पर अधिक समय बितना शुरू कर दिया है, जिससे उनकी सेहत खराब ही होती जा रही है।  शोध बताते हैं कि महामारी के दौरान बच्चों की मध्यम से जोरदार शारीरिक गतिविधि में प्रति दिन 17 मिनट की कमी आई है, जो कि दैनिक गतिविधि के लगभग एक तिहाई की कमी का प्रतिनिधित्व करता है।

वहीं 187 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अन्य वैश्विक अध्ययन ने कोविड 19 से संबंधित प्रतिबंधों के 30 दिनों के बाद व्यक्तियों के हर दिन के स्टेप्स (पैदल चलने)  की संख्या में सामूहिक रूप से 27.3% की कमी दिखाई है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि इस बारे में सोचा जाए और बच्चों को भी सेहत का ख्याल रखने के लिए बाहर वाले खेल अधिक खेलने को कहा जाए।

 

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