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प्रेरणा

‘छत्तीसगढ़ महतारी सम्मान’ से सम्मानित उर्मिला नाग पर्णिकर ने मिट्टी को बनाया सोना

प्राची |  नवंबर 08, 2023

महिलाओं की उपलब्धि का कोई त्योहार नहीं होता है। महिलाओं के पराक्रम और शौर्य और शक्ति की गाथा बताने के लिए हर दिन शुभ है। हर महीने का हर दिन भी कम पड़ जाएगा कि हम किसी महिला की प्रेरणा की बागवानी से आपकी मुलाकात कराएं। इस बार हमारी प्रेरणा की बागवानी को महका रही हैं उर्मिला नाग पर्णिकर कहते हैं किसी महिला की उपस्थिति न केवल उसकी पहचान दिखाती है, बल्कि संस्कृति की झलक को भी दिखाती है। फिर चाहे अपने पहनावे से हो या फिर अपने बर्ताव से या फिर अपनी भाषा से। ऐसी ही बेहद खास महिला उर्मिला नाग पर्णिकर हैं, जो कि छत्तीसगढ़ के बस्तर की संस्कृति की मिसाल बन गई हैं। आइए जानते हैं विस्तार से। 

कौन हैं उर्मिला 

बस्तर के एक छोटे से गांव माझी पाल की निवासी हैं उर्मिला नाग पर्णिकर अपने गांव की पहचान देश से करवा रही हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि केवल प्राथमिक शिक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी वर्तमान में अपने हौसले के कारण उन्होंने विदेश तक पहचान कायम कर ली है। उर्मिला बस्तर में होम स्टे चलाती हैं, जिसका नाम आमचो लाडो है। इस होम स्टे की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यहां पर वह रहने वालों को बस्तर की कला, संस्कृति और खान-पान से पहचान कराकर बस्तर की पहचान विश्व स्तर पर पहुंचा रही हैं। बस्तर पर्यटन के लिए खास क्षेत्र माना जाता है। यहां पर कांगेर राष्ट्रीय उद्यान, कैलास गुफा,चित्रधारा झरना, चित्रकोट झरने के साथ तामड़ा घुमर जैसी कई लोकप्रिय स्थान हैंं। 

होम स्टे है कमाल का 

अपने होम स्टे के जरिए उर्मिला बस्तर के खाने को भी लोकप्रिय कर चुकी हैं। लोकप्रिय शेफ गॉर्डन रामसे भी उनके हाथ के खाने की तारीफ कर चुके हैं। हिंदी न समझने वाली उर्मिला विदेशी पर्यटकों के साथ सहजता से बात कर लेती हैं। उर्मिला कई लोगों बस्तर में उनके होम स्टे में रहने वाले लोगों को यह बताती हैं कि कैसे उनका शहर प्रकृति का नायाब तोहफा है, जिसका प्रचार-प्रसार पूरे विश्व में होना जरूरी है। वे बिस्तर की आदिवासी संस्कृति से भी लोगों को परिचय करवा रही हैं। उन्होंने अपने इस काम के जरिए यह संदेश दिया है कि कैसे माटी ने उन्हें रोजगार दिया और उन्होंने इस माटी की रोटी की कीमत उसके बखान से लगातार अदा करती आ रही हैं।

‘छत्तीसगढ़ महतारी’ सम्मान से सम्मानित 

उल्लेखनीय है कि उन्हें गर्व है कि वह हर संभव कोशिश करते हुए अपने माटी की संस्कृति को सुरक्षित करने का काम कर रही हैं। उन्हें अपने इस गौरवपूर्ण कार्य के लिए ‘छत्तीसगढ़ महतारी सम्मान’ से भी नवाजा गया है। वाकई, उर्मिला सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा है, क्योंकि उन्होंने हमें ये सीख दी है कि हम छोटे-बड़े किसी भी काम के जरिए देश की माटी का शुक्रिया अदा कर सकते हैं। 

 

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