कभी मूड ऑफ होने पर ऐसा तो नहीं है कि आप शॉपिंग के लिए निकल जाती हैं, कभी अगर आपके पास कुछ करने को नहीं है, तो कहीं आपका सीधा ध्यान सिर्फ शॉपिंग पर तो नहीं जाता है, अपने फ्रस्टेशन, गुस्से को निकालने के लिए, कई लोग शॉपिंग का जरिया चुनते हैं, कई बार हम दूसरे से ईर्ष्या होकर भी, ठीक वैसी ही या उससे भी महंगी चीज खरीदने निकल पड़ते हैं, जबकि हमें उसकी जरूरत भी नहीं होती है, अगर आप ऐसा कुछ भी करती हैं, तो आप इस बार का इल्म नहीं है कि आपको इमोशनल शॉपिंग की परेशानी है. यह एक तरह का डिजॉर्डर ही है. जिस तरह से इमोशनल ईटिंग इंसान, स्ट्रेस, दुखी या उसकी जिंदगी में कुछ असहज हो, तो उसकी वजह से खाता है, ठीक वैसे ही इमोशनल शॉपिंग या इमोशनल स्पेंडिंग की स्थिति होती है, जिसमें इंसान बेवजह की खरीदारी करने लगता है, लेकिन इससे बाद में कई परेशानी आ सकती है, तो आइये जानें, कैसे इससे बचा जा सकता है.
साइकोलॉजिस्ट डॉ किरण इस बारे में कहती हैं कि कई बार जब आप दुखी होती हैं या किसी से आपको ईर्ष्या हो जाती है, तो वहीं इमोशन आपको शॉपिंग और बेवजह के पैसे खर्च करने पर मजबूर करते हैं, कुछ-कुछ इमोशनल इटिंग की तरह होती हैं. इसलिए इसे काबू करना, सिर्फ और सिर्फ आपके हाथों में ही होता है. इसे कंट्रोल किया जा सकता है, कभी मेडिटेशन, तो कभी अपने माइंड को अच्छी चीजों में जोड़ कर.
कुछ जरूरी तरीके जो अपनाएं जा सकते
खरीदने की बजाय कार्ट में डालें लिस्ट अपनी
इन दिनों इमोशनल शॉपिंग की सबसे बड़ी वजह ऑनलाइन शॉपिंग भी हो गई है, पहले तो फिर भी अगर आपका मूड बेहद ख़राब है और आपको शॉपिंग करने की चाहत होती भी थी, तो आपको जाने के आलस्य से, आप खुद को रोक लेते थे, लेकिन अब तो आपके हाथों में मोबाइल भी है और काफी समय, आप उन पर ही देते हैं, ऐसे में आपको शॉपिंग करने के लिए, बार-बार हर शॉपिंग ब्रांड्स आकर्षित करते रहते हैं. खुद को रोक पाना काफी मुश्किल होता है, लेकिन हम आपको इस क्रम में भी एक उपाय बताने जा रहे हैं, आपको कुछ नहीं करना है, बस जो आपकी आदत है कि आप फटाफट अपने क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने लगती हैं, उस पर काबू पाने के लिए, आपको बस जो चीजें पसंद आ रही हैं, उन्हें खरीदने की बजाय सीधे कार्ट में डाल कर छोड़ देना है, इससे आप खुद को कुछ देर के लिए संतुष्ट तो कर ही सकती हैं. कुछ देर के बाद, आपको खुद ही इस बात का एहसास हो जाये कि आप बेवजह शॉपिंग करने जा रही थीं, ऐसी जरूरत नहीं थी.
किताबें खरीदें मोटिवेशन वाली
अब ऐसे में अगर, आप अपने इमोशन को बहुत अधिक संभाल नहीं पा रही हैं और खुद को कुछ न कुछ खरीदने पर मजबूर कर रही हैं और खुद को बाहर निकलने से नहीं रोक पा रही हैं, तो आप ऐसा करें कि कोशिश करें कि इस दौरान आप किताबें खरीदें, जो आप आमतौर पर नहीं करती हैं, खासतौर से मोटिवेशन वाली किताबें खरीदें, इससे आपका मन तो बदलेगा ही, आप खुद के इमोशन को भी संतुष्ट करने में कामयाब हो पाएंगी.
क्रेडिट कार्ड कभी न रखें
अगर आप अपना स्वभाव समझ चुकी हैं कि आपको इमोशनल शॉपिंग की आदत है, ठीक इमोशनल इटिंग की तरह, तो ऐसे में बेहतर होगा कि आप क्रेडिट कार्ड होल्डर तो एकदम नहीं बनें, क्योंकि क्रेडिट कार्ड से काफी परेशानी हो सकती है, आपको पता भी नहीं चलेगा, आपने इस कदर शॉपिंग कर ली होगी और बाद में वह आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है. इसलिए बेहतर है कि आप अपने आप को समझ कर, क्रेडिट कार्ड से खुद को दूर रखें और सीमित बजट में ही खुद को संभालें.
इन्फ्लुएंसर्स को देख कर न हों प्रभावित
आप जैसी लड़कियों के लिए, सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर्स को फॉलो करना भी गलत साबित हो सकता है, मुमकिन है कि वह जितने भी ब्रांड्स का प्रोमोशन करेंगी, आपको लगेगा, वे अच्छे हैं और आप उन्हें खरीद लेंगी. जबकि आपको यह समझना बेहद जरूरी है कि ब्रांड्स के प्रोमोशन के लिए उन्हें पेड पार्टनरशिप मिलती है, इसलिए बिल्कुल उन पर आँख बंद कर, अपने इमोशन में बह कर, कोई खरीदारी न करें.
खुद को करें फिजिकल एक्टिविटी में शामिल
कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि आप जब फिजिकल एक्टिविटी में रोजाना होती हैं, तो आपके लिए यह बेहद जरूरी होता है, आप खुद को फिजिकल एक्टिविटी करने के लिए प्रेरित करें, इससे भी काफी फर्क पड़ता है, जैसे मेडिटेशन से लेकर, ऐसे एक्सरसाइज, जो माइंड को शांत करें और आपको सही और गलत का फैसला करने में मदद करें, ऐसे तरीके अपनाएं.