हिंदी भाषा ने कई लोगों को रोजगार के मौके दिए हैं। हिंदी भाषी अब किसी से कम नहीं हैं, खासतौर से मनोरंजन की दुनिया में हिंदी भाषा ने अपनी एक धाक बना ली है। सिनेमा, धारावाहिक और ओटीटी की दुनिया ने हिंदी की दुनिया को और अधिक निखार दिया है। चूंकि अब ओटीटी के माध्यम से कई भाषाओं की फिल्में और वेब सीरीज से लोग इत्तेफाक रखने लगे हैं, हिंदी दर्शकों तक इसकी पहुंच को बरकरार रखना, निवेशकों के लिए एक चुनौती भी बन चुकी है। ऐसे में वॉइस डबिंग आर्टिस्ट, दूसरी भाषाओं से हिंदी भाषा में ट्रांसक्राइब करना, यानी सबटाइटलिंग के क्षेत्र में भी कई विकल्प खुल चुके हैं। ऐसे में हिंदी दिवस के बहाने, हमने जानने की कोशिश की है, हिंदी भाषा की मनोरंजन जगत में बढ़ रही लोकप्रियता और रोजगार के विकल्प के बारे में
ओटीटी ने खोल दिए हैं विकल्प : शगुफ्ता बेग

वॉइस डबिंग आर्टिस्ट के रूप में शगुफ्ता बेग पिछले 16 सालों से भी अधिक वर्षों का अनुभव हासिल कर चुकी हैं। हाल ही में साल की कामयाब फिल्मों में से एक रही फिल्म ‘केजीएफ 2’, हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘गार्गी’, हॉलीवुड की फिल्म डॉक्टर स्ट्रेंज और ऐसी कई बड़ी फिल्मों में मुख्य किरदारों की हिंदी डबिंग शगुफ्ता ने की है। वह कहती हैं हमारी हिंदी फिल्मी या मनोरंजन की दुनिया ऐसी है, जो सबसे ज्यादा रोजी रोटी देती। मुझे ऐसा कोई दूसरा प्रोफेशन नजर नहीं आता है, जहां हिंदी भाषा इस कदर रोजगार के अवसर दे। फिर चाहे वह कविताएं हों या कुछ भी हो। धीरे-धीरे कोरियन भाषा, स्पैनिश भाषा के शोज और फिल्मों का भी क्रेज पिछले लंबे समय से बढ़ा है। अब सिर्फ हॉलीवुड की फिल्में ही नहीं देखी जा रही हैं। जाहिर है, अगर लोग हर तरह की भाषा की फिल्में या कॉन्टेंट देखना चाह रहे हैं, तो निर्माता को हिंदी में विकल्प खोलने ही होंगे और यही वजह है कि हिंदी डबिंग की डिमांड बढ़ी है। पहले ऐसा जमाना था कि मुझे लगता था कि मुझे सिर्फ हिंदी आती है, पता नहीं मैं कितना काम कर पाऊंगी, सर्वाइव कर पाऊंगी या नहीं। मुझे अंग्रेजी सीखनी ही पड़ेगी, लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, मैंने महसूस किया कि मेरी हिंदी ही मेरी ताकत बनी है, क्योंकि डबिंग भी हर आर्टिस्ट की साफगोई से बोली गई हिंदी नहीं होती है। बार-बार हमें उनको सही करना पड़ता है, ऐसे में अच्छी हिंदी बोलने वालों की अब खूब तलाश हो रही है। हाल ही में मैं एक वॉइस ओवर आर्टिस्ट से मिली, वह जापान से हैं और यहां आकर हिंदी सीखना चाह रही है, क्योंकि डिमांड अब हिंदी की बढ़ रही है। अब कई विदेशी फिल्मों से जुड़े लोग हिंदी सीखने की चाहत रख रहे हैं, ताकि वह हिंदी के रोजगार के माध्यम ढूंढ पाएं। शगुफ्ता का यह भी मानना है कि लड़कियों के लिए खासतौर से हिंदी भाषा पर कमांड या पकड़ होना उनके लिए विकल्प खोल रहा है। खासतौर से हिंदी बेल्ट से आयीं महिलाएं या लड़कियां, जो मुंबई में अपने सपनों की तलाश करना चाहती हैं, वह हिंदी डबिंग को भी अपना एक विकल्प बना सकती हैं।
ग्रामीण शोज की बढ़ी लोकप्रियता ने भी बढ़ाई है हिंदी की डिमांड : शिल्पा राठी

शिल्पा राठी पिछले 15 सालों से मनोरंजन जगत के लेखन के क्षेत्र में जुड़ी हैं। उन्होंने कई विज्ञापन, टीवी शोज और कई विधाओं का लेखन किया है। ऐसे में उनका भी मानना है कि हिंदी की लोकप्रियता बढ़ने का इन दिनों जो वह कारण देखती हैं, वह यही है कि भले ही बाकी चीजों में हम वेस्टर्न चीजों को फॉलो कर रहे , लेकिन पंचायत और गुल्लक जैसे शोज पसंद किये जा रहे हैं, इसलिए हिंदी परिवेश से आने वाले राइटर्स की डिमांड बढ़ी है, क्योंकि वह वहां के परिवेश को समझ पा रहे हैं। आप देखें तो क्राइम या थ्रिलर कहानियां भी हिंदी बेल्ट के देसी शोज ही अधिक लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। इसलिए, हिंदी अब आपके रोजगार की भाषा बन चुकी है।
सबटाइटलिंग की दुनिया में नयी क्रांति ला रही हिंदी : पुष्पा शर्मा
लंबे समय से हिंदी सबटाइटलिंग की दुनिया में जुड़ी हुई हैं। वह कई दूसरी भाषाओं में बनने वाली फिल्में और शोज की सबटाइटलिंग हिंदी में किया करती हैं और पिछले 10 सालों से लगातार अपने कम्फर्ट जोन में रहते हुए यह काम कर रही हैं। वह कहती हैं कि हिंदी ने मुझे बिना किसी ऑफिस जाए या किसी झंझट में पड़े एक बड़ा स्कोप दे दिया है, मैं अपनी आय का स्रोत आसानी से हिंदी के माध्यम से कमा पा रही हूं। अब दर्शकों ने भी अपना दायरा बढ़ाया है, खासतौर से घरेलू महिलाएं केवल अब टीवी शोज नहीं देख रही हैं। वे भी ओटीटी की दुनिया में आयी हैं। ऐसे में वह प्राथमिकता देती हैं कि उन्हें कम से कम हिंदी में सबटाइटिल पढ़ने को मिले। इसलिए हमारा काम भी बढ़ा है और हिंदी का दायरा भी बढ़ चुका है।