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संस्कृति

भारत का अमृत महोत्सव : हर प्रांत के पर्व, फूड कल्चर और फैशन का हो सम्मान

प्रिया श्रीवास्तव |  अगस्त 13, 2022

मुझे तो ओणम पर्व का इंतजार रहता है, क्योंकि इसमें न मैं सिर्फ अपनी केरल वाली फ्रेंड की दी साड़ी पहनती हूँ, बल्कि ऑफिस में हमलोग एक दूसरे के साथ एक ब्रंच भी करते हैं, ओणम स्पेशल. कुछ इसी तरह मेरी दोस्तों को इंतजार रहता है, छठ पर्व का, क्योंकि मैं उनके लिए बिहार से ठेकुआ जो लाती हूँ, साथ ही होली में मेरे हाथों की बने दही-वड़े उन्हें बेहद पसंद आते हैं. वैसे सच कहूँ, तो हमें एक दूसरे के साथ एन्जॉय करने के लिए, सिर्फ पर्वों की जरूरत नहीं होती है. हम हर दिन ही एक दूसरे के घर के आये टिफिन डिब्बों में, एक दूसरे की कल्चर का स्वाद चखती रहती हैं. दरअसल, भारत देश की यही तो खूबसूरती है कि यहाँ हर थोड़ी दूर में, कल्चर, भाषा और संस्कृति बदल जाती है और हम एक नई दुनिया में चले जाते हैं, ऐसे में एक दूसरे की सभ्यता को अपनाना, उनकी स्वाद की थाली को चखना और एक दूसरे के परिधान पहनना ही, सभ्यता और संस्कृति को बढ़ावा देता है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि हम एक दूसरे की संस्कृति को अपनाएं और उनका सम्मान दें, इससे हम एक दूसरे की संस्कृति को विस्तार से समझ पाएंगे और अपने इतिहास से भी रूबरू हो पाएंगे. तो आइये जानिए, वे पांच तरीके, जिनसे हम एक दूसरों के कल्चर को मान दे सकते हैं और एक दूसरे के कल्चर को बढ़ावा भी. 

कोशिश करें कि हर प्रान्त के लोगों से दोस्ती करें 

आप अगर किसी ऑफिस में काम करती हैं, तो घुलना-मिलना सीखें, आपकी यह कोशिश कभी नहीं होनी चाहिए कि अरे मैं, तो बिहार से हूँ या मैं तो बंगाल से हूँ तो सिर्फ अपने प्रान्त वालों से ही दोस्ती करूंगी, क्योंकि ऐसा करना आपके लिए आसान है, आपके लिए कम्फर्ट जोन है, लेकिन इससे आप कभी नयी चीजें नहीं सीख पाएंगी. आप कभी इस बात को नहीं समझ पाएंगी कि ईद में सेवइयां ही क्यों बनती हैं, पंजाबी लोग क्यों गुरु साहेब की पूजा करते हैं, इसलिए जरूरी है कि अपने ऑफिस में हर प्रान्त के लोगों से मिलने और उनके कल्चर को समझने की कोशिश करें, क्योंकि अगर आप ऐसा सोचती हैं कि ट्रेवलिंग के लिए, आप किसी शहर में गई हैं और पांच दिन में वहां के कल्चर को समझ लेंगी, तो ऐसा नहीं होता है, जब आप लोगों से हर दूसरे दिन मिलते हैं, तो कई सारी बातें सामने आती हैं और आप कहीं बिना ट्रेवल किये ही भारत घूम लेंगी. 

सबके पर्व को सेलिब्रेट करें 

आप भले ही ऑफिस में हों या अपने आस-पड़ोस के लोगों के साथ, एक दूसरे के कल्चर यानि संस्कृति को समझने के लिए, इससे अच्छा जरिया और कुछ नहीं हो सकता है कि आप हर तरह के पर्व मिल कर मनाएं, ईद में ईद की रौनक, दीवाली में जगमगाहट, फिर लोहड़ी, ओणम और ऐसे कई पर्व हैं, इन सबको मनाने के अपने तरीके होते हैं और साथ ही इनसे जुड़ीं मान्यताएं समझने में मजा आएगा. 

अलग-अलग तरह के परिधान स्टाइलिश लगते हैं 

जी हैं, एक दूसरे के प्रान्त के लोगों के साथ काम करने का यह अनुभव भी मजेदार होता है कि हर पर्व में, आपको इस का उत्साह रहेगा कि मुझे इस पर्व में क्या पहनना है, दूसरे पर्व में क्या, तो अगर आप फैशन में दिलचस्पी रखती हैं, तो खुद को एक्सप्लोर करने का यह सबसे अच्छा मौका होगा. ज़रा सोचिये न, आपका इंस्टाग्राम कितना रंग-बिरंगा नजर आएगा, जब आप सोशल मीडिया पर हर पर्व में तरह-तरह की तस्वीरें शेयर करेंगी. 

ऑफिस में लंच सबके साथ ही करें 

कई लोगों की यह आदत होती है की वह बस खाने को खा लेते हैं, उन्हें ऑफिस में सबके साथ लंच करना अच्छा नहीं लगता है, ऐसे में अकेले रह कर, वह कभी भी नहीं समझ पाएंगी कि सबके साथ लंच करने का क्या मजा होता है. दरअसल, जब आप सबके साथ, बैठ कर, मिल बाँट कर खाना खाते हैं तो एक दूसरे को समझ पाते हैं, उनके स्वाद, उनके फ़ूड कल्चर से वाकिफ हो पाते हैं और यह एक ऐसा अनुभव होता है, जो आपको कभी भी किसी किताबों में नहीं मिल सकता है, इसलिए कभी भी अकेले भोजन करने के बारे में न सोचें, ताकि आप औरों के कल्चर से भी रूबरू हो पाएं. 

पड़ोस के लोगों से शेयरिंग इज केयरिंग करें 

आप जब अपने आस-पड़ोस के लोगों के साथ घुलते-मिलते हैं और एक दूसरे के घर में बने कोई पकवान खाते हैं और एक दूसरे के साथ बांटते हैं, तब भी इससे प्यार बढ़ता है और एक दूसरे के कल्चर के लिए सम्मान भी बढ़ता है, तो यह भी बेहद जरूरी है कि शेयरिंग इज केयरिंग वाली फीलिंग लाएं. साथ ही अपने आस-पड़ोस के बच्चों के साथ, अपने बच्चों को घुलने मिलने दें, कभी ईद पर आपके बच्चे को ईदी मिले, तो उन्हें बड़ों से लेने से मना न करें, कभी आप भी प्यार से दीवाली और होली पर पड़ोस के बच्चों को आशीर्वाद दे दें, इससे आपस में प्यार ही बढ़ता है और एक दूसरे के कल्चर के लिए सम्मान की भावना आती है.

 

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